अपना घर की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित
उन्होंने कहा कि 9 मई से विभिन्न एजेन्सियां तथ्यों का पता लगाने के लिए अपने-अपने तरीके से कार्य कर रही है और जैसे ही आज उन्हें समाचार पत्र के माध्यम से कुछ पुलिस कर्मचारियों की संलिप्ता का पता चला, तथ्यों का पता लगाने के लिए तुरन्त एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस घटना के तथ्यों का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय की कमेटी, पुलिस विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा मीडिया स्वतंत्र रूप से अपने स्तर पर दिन-प्रतिदिन की कवरेज के कार्य मे लगा हुआ है, जिससे पारदर्शिता बनी हुई है।
बच्चों के उत्पीडऩ के मामले पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे मामले अतिसंवेदनशील प्रकृति के हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए और ऐसे मामलों की जांच समयबद्घ तरीके से पूरी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि 9 मई से जब से अपना घर के संबंध में आरोप लगाये जा रहे हैं, दस्तावेजों के आधार पर मामले की तहकीकात की जा रही है, परन्तु आज अंग्रेजी समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार बहुत दु:खद है। उन्होंने कहा कि बच्चों के अधिकार हमारे पास सुरक्षित हैं और हमें उनके अधिकारों की कद्र करनी चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए। पुलिस के इस संबंध में स्पष्ट नियम हैं। इसलिए दोषियों को कानून के अनुसार सजा मिलनी चाहिए। 13 मई को केन्द्रीय महिला आयोग के समक्ष बच्चों के बयान दर्ज किये गये थे।
छछरौली बाल सुधार गृह की जांच जारी
छछरौली, यमुनानगर बाल सुधार गृह के संबंध में प्रश्र पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हरियाणा में वैसे तो काफी बाल सुधार गृह संचालित हैं, परन्तु छछरौली मामले की जांच जिला प्रशासन अपने स्तर पर कर रहा है। इसके अलावा केन्द्रीय महिला आयोग के सदस्यों ने भी वहां का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की उच्च स्तरीय समिति में महिला अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार तथा पुलिस बच्चों के अधिकारों के रक्षा के प्रति कटिबद्घ है। उन्होंने कहा कि दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उन्हें जल्द ही सख्त से सख्त सजा दी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज काफी संवेदनशील है और ऐसे मुद्दों को कभी सहन नहीं करेगा। रिपोर्ट आने में कितना समय लगेगा के संबंध में पूछे जाने वाले प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अभी इसकी कोई तय सीमा नहीं है। पुलिस के अधिकारी विवेक शर्मा, आलोक मित्तल, डीएसपी धारणा यादव इस कार्य में लगे रहे हैं। इसके अलावा अन्य विभागों की महिला अधिकारी भी कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के प्रति स्पष्ट नियम है और पुलिस इन अधिकारों के प्रति कटिबद्घ है। उन्होंने कहा कि हम सबसे पहले सच्चाई का पता लगाएंगे।