कैग ने कराई शीला को सच से सामना
एमसीडी में फर्जी कर्मचारियों की भरमार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने कहा है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में फर्जी कर्मचारी होने की आशंका काफी अधिक है। कैग ने वित्त वर्ष 2010-11 के लिए अपनी रिपोर्ट में एमसीडी के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है। कैग ने कहा कि एमसीडी ने पिछले 20 साल में समूह डी के लिए कोई सीधी भर्ती नहीं की है। इस वजह से कर्मचारियों की नियुक्ति या अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस व्यवस्था के तहत कर्मचारियों की नियुक्ति, भुगतान और नियमित करने में अधिकारियों को विवेकाधिकार मिल जाता है।
दिल्ली सरकार नहीं कर पाई 2,000 करोड़ की वसूली दिल्ली सरकार 2010-11 के दौरान मूल्य वर्धित कर (वैट) तथा ब्रिकी कर मद में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली नहीं कर पाई। रकारी खजाने को यह नुकसान अंडर रिकवरी या शुल्क नहीं लगाने (नान लेवी) के रूप में हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010-11 के दौरान 2,471 मामलों में 2,019.31 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान कम आकलन तथा कम शुल्क लगाने के रूप में हुआ। कैग का कहना है कि उसे कर छूट के अनियमित दावे, रियायती कर दर की अनुमति, कर वसूली नहीं किए जाने तथा कम आकलन जैसी अनियमितताएं मिली हैं।
परिवहन विभाग भी पंचर
रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम को वित्त वर्ष 2010-11 में 2042 करोड़ रुपये के तगड़े घाटे का खुलासा किया गया है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि परिवहन विभाग द्वारा नियमों का पालन नहीं किए जाने से वाहनों के मद में मिलने वाले एकमुश्त मिलने वाले टैक्स के मद में 83.37 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। विभाग ने 660 ऐसे लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया जिनके लर्निग लाइसेंस की अवधि खत्म हो चुकी थी। इतना ही नहीं विभाग ने 209 लोगों को एक से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस भी जारी कर दिए।
कालोनियां पर खर्च नहीं कर पाई सरकार रकम
दिल्ली सरकार अनधिकृत कालोनियों को लेकर बहुत चिंता प्रकट करती है लेकिन उसने इन कालोनियों के विकास पर खर्च करने के लिए रखे गए 502 करोड़ रुपये में से 372.66 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किए गए। साधारण पेंशन के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था जबकि यह पूरी रकम खर्च ही नहीं की गई। इसी प्रकार जेएनएनयूआरएम योजना के तहत 1500 बसें खरीदने के लिए 645 करोड़ रुपये में से डीटीसी को इक्विटी के तौर पर 219.34 करोड़ रुपये ही जारी किए गए।
खाद्य और आपूर्ति विभाग की आलोचना
कैग की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के खाद्य व आपूर्ति विभाग की आलोचना करते हुए कहा गया है कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत उसे 1.57 लाख परिवारों की पहचान करनी थी लेकिन उसने 1.01 लाख परिवारों की ही पहचान की जिससे 56 हजार गरीब परिवारों को इस योजना के लाभ से वंचित होना पड़ा। कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा आवंटित खाद्यान्न भी दिल्ली सरकार नहीं उठा सकी। केन्द्र सरकार द्वारा आवंटित चावल व गेहूं की मात्रा तथा दिल्ली सरकार द्वारा आवंटित इन खाद्यान्नों की मात्रा में भी अंतर पाया गया। यह भी कहा गया है कि विभाग ने गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले 1,36,436 कार्ड बना दिए। इनमें से 54,378 कार्डो का स्कैन डाटा विभाग के पास उपलब्ध था।