सउदी से आये काबा के इमाम हुए लखनऊ पर फ़िदा
इमाम गामदी इन दिनों प्रदेश के दौरे पर हैं। इमाम-ए-हरम खालिद बिन-अली अल-गामदी ने कहा कि इस्लाम अच्छाइयों की राह पर चलने की शिक्षा देता है। ऐसे में हमें इसका दामन नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यह इंसानी अखलाकियात पर अमल करने की बेहतरीन तालीम है। इमाम ने कुरआन की आयत की रोशनी में इस्लामी उसूलों व उसकी तालीमात पर अपने ख्याल का इजहार किया।
उन्होंने खासकर अखलाकियात यानी सद व्यवहार और नैतिकता को लेकर कुरआन में क्या-क्या कहा गया है। इसपर विस्तार से रोशनी डाली। इसमें यह हिदायतें मिली हैं कि यदि कोई भी आपसे गलत तरीके से पेश आता है तो आप उससे भलाई से ही पेश आए। ऐसे लोगों की बातों पर ज्यादा ध्यान न दें और उसे माफ कर दें।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि है कि उसे बेहतर राह पर लाने की कोशिश न की जाए। माफ करने का मतलब यह भी नहीं कि सभी कुछ खामोशी से कुबूल कर लें, इसे इसांनियत और हमदर्दी से समझाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी इंसान सम्पूर्ण नहीं है। यानी पूरी तरह काबिल नहीं है। हर शख्स में कहीं न कहीं कोई कमी होती है। ऐसे में नादानों की बातों को दरगुजर करना या उसे दरकिनार करना बेहतर है।
इसके बाद नदवा अरबी कालेज के प्रमुख एवं आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल-ला बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने एक जलसे की सदारत करते हुए कहा कि उन्हें आज बेहद खुशी है कि उनके बीच इमाम हरम तशरीफ लाये हैं। उन्होंने कहा कि हरम ने जिस तरह कुरआन शरीफ की रोशनी में अखलाकियात यानी लोगों से बेहतर बर्ताव और हमदर्दी व इंसानियत की बात कही है आज उसकी पूरी दुनिया को सख्त जरूरत है। इससे लोग एक दूसरे के करीब आएंगे और पूरी दुनिया में इस्लाम इसी तालीम से फैला है। मौलाना ने मक्का शरीफ की अहमियत और उसकी फजीलतों पर भी अपने ख्यालात का इजहार किया।