मौसम दगा देगा या बनेगा सगा
नोबल पुरस्कार से सम्मानित इंटरगवर्मेंटल पैनल आफ क्लाईमेट चेंज (आईपीसीसी) की 594 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में भविष्यवाणी करते हुए कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सूखा, बाढ़ , उष्णकटिबंधीय चक्रवात और गर्म हवाओं की तीव्रता और संख्या में इजाफा हो सकता है। पैनल के अनुसार इन मुश्किलों की वजह मानव के क्रिया कलापों की वजह से होने वाले वैश्विक तापन के अलावा गरीबी और जनसंख्या का तेजी से बढ़ना है।
वहीं भारत के उत्तरी हिस्सों में मानसून का बिगड़ने को लेकर मौसम वैज्ञानिक कम चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि अब मानसून इस बात से तय होगा कि एक से पंद्रह मई के बीच कितना गर्मी ऊंचाई छू पाती है। वैसे मौसम के मिजाज को लेकर चिंताएं गैरवाजिब नहीं हैं। अधिकतर उत्तर भारत में बीते दो माह का तापमान औसत से कम रहा है, लेकिन देश के आला मौसम विज्ञानी फिलहाल इसे लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। उनका मानना है कि बारिश सामान्य होगी।