'चिदंबरम को बर्खास्त कर पीएम शक की सुई से बचे'
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा गया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय और कानून मंत्रालय की कार्यप्रणाली तीखी और गंभीर टिप्पणी है। इससे शक होता है कि यह लापरवाही का मामला है या मिलीभगत का। कहीं सारा प्रबंध तंत्रा तो घोटाले में शामिल नहीं था।
चिदंबरम को तुरंत बर्खास्त करने और मामले को इतने साल दबा कर रखने के दोषी प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों को दंडित करने की मांग करते हुए जोशी ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो प्रधानमंत्री पर शक की सूई जाएगी कि कहीं वह भी सारे मामले को दबा कर बैठने में शामिल नहीं थे।
किसी के विरूद्ध अभियोग चलाने की अनुमति मांगने के चार महीने के भीतर संबंधित व्यक्ति द्वारा अधिकतम चार महीने तक निर्णय करने के उच्चतम न्यायाल के फैसले के आलोक में ही भाजपा नेता ने मांग की कि शीर्ष अदालत के इस निर्देश को कानूनी जामा पहनाया जाए। इसके लिए भ्रष्टाचार निरोधी कानून सहित सभी संबंधित दंड संहिताओं में संशोधन किया जाए।