मुन्ना बजरंगी दिल्ली की अदालत से बरी
तीस हजारी अदालत स्थित मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद यादव ने एक अहम फैसले में गैंगस्टर एक्ट का आरोप झेल रहे मुन्ना और उसके तीन सहयोगियों को सबूतों के अभाव में फिरौती के आरोप से बरी कर दिया है। मुन्ना बजरंगी के अलावा महेंद्र आयरे, मिराज अहमद और इफ्तिकार अहमद को सबूतों के अभाव का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। मामले में शामिल पांचवें आरोपी रिजवान अहमद अंसारी को पहले ही भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। अदालत ने मुन्ना के अधिवक्ता दीपक शर्मा की ओर से दी गई कुछ अहम दलील को स्वीकार किया। अदालत ने जांच एजेंसी के जांच के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आरोपियों को 29 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया लेकिन तीन नवंबर को पहली बार आरोपी का बयान दर्ज किया गया। यही नहीं जांच एजेंसी की ओर से जिस कॉल डिटेल्स रिकार्ड की बात की गई थी वह महज एक दिन 29 अक्तूबर का ही है। किसी भी स्वतंत्र गवाह को शामिल नहीं किया गया।
जांच एजेंसी के पास आरोपियों के कबूलनामे के अलावा कुछ भी अहम तथ्य नहीं है। ऐसा कोई भी सबूत या गवाह पेश नहीं किया गया जिसके आधार पर आरोपियों के उपर लगाए गए आरोप को साबित किया जा सके। यहां तक की मामले के कुछ अहम गवाह भी अपने बयान से मुकर गए। दक्षिण दिल्ली के व्यवसायी अशोक तेवरीवाल की शिकायत पर पुलिस की स्पेशल सेल ने फिरौती और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया था।
शिकायत के बाद सेल ने व्यापारी की ओर से दिए गए मोबाइल नंबर को इंटरसेप्शन पर लगाया। उसी के आधार पर टीम अक्तूबर में मुंबई पहुंची। इसके बाद टीम ने मुंबई के मलाड स्थित सिद्धि विनायक सोसायटी से महेंद्र आयरे को गिरफ्तार किया और फिर मुन्ना को भी गिरफ्तार किया गया। मुन्ना की गिरफ्तारी के बाद वाराणसी से मिराज अहमद और इफ्तिकार अहमद को गिरफ्तार किया था। इन दोनों पर आरोप लगाया गया था कि वह मुन्ना के नाम पर फिरौती की वारदात को अंजाम देता था।
गौरतलब है भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या सहित विभिन्न आपराधिक मामलों में आरोपी मुन्ना बजरंगी को अदालत से उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नामांकन भरने की अनुमति मिल गई थी। वह जौनपुर जिले की मड़ियाहूं विधानसभा सीट से आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है।