आदमपुर में तीन हिरणों का शिकार, विभाग मौन
सुबह करीब 10 बजे अज्ञात शिकारियों ने फायर करके एक मादा गर्भवती हिरण को झुंड से अलग कर दिया। फायर का शोर सुनकर खेत में पानी लगा रहे नरसिंह बिश्नोई फायर की दिशा में गए तो वहां से अज्ञात शिकारी भाग चुके थे। इधर-उधर खोजने पर उनका कहीं कोई पता नहीं चला। इसके बाद जैसे ही वे अपने खेत के पास आए तो चार-पांच कुत्ते एक हिरण के पीछे लगे हुए थे।
नरसिंह बिश्नोई जब तक कुत्तों को वहां से खदेड़ते कुत्तों ने हिरण के गर्दन पर तीन गहरे घाव कर दिए थे। इसके बाद घायलावस्था में हिरण को आदमपुर के पशु हस्पताल लाया गया। जहां पर चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। चिकित्सक सतबीर सिंह बैनीवाल ने बताया मृत हिरण मादा थी और गर्भवती थी। करीब पांच से छह दिन में उसके बच्चे बाहर आने थे। बाद में मृत हिरण को बिश्नोई समाज के प्रधान कृष्ण राहड़, अमरसिंह भादू, दलीप सिंह राहड़, मनफूल सिंह सिंवर, श्रवण बिश्नोई ने आदमपुर स्थित श्रीकृष्ण गौशाला में दफना दिया। इसके अलावा आदमपुर गांव के टिब्बों पर दो अन्य हिरणों को भी शिकारियों ने मार गिराया। इनमें एक काला हिरण था।
सप्ताह भर में सात शिकार
आदमपुर क्षेत्र में मात्र एक सप्ताह के भीतर सात हिरणों का शिकार हो चुका है। इससे पहले 10 जनवरी को आदमपुर गांव के खेत में एक काला हिरण मृत पाया गया था। इसे गोली लगी हुई थी। इसके बाद 11 जनवरी को जानवरों द्वारा नोंचा गया एक हिरण का शव भी खेतों में मिला। 15 जनवरी को पुन: आदमपुर गांव के खेतों में ही हिरण का आधा खाया हुआ शरीर पाया गया था। इसके बाद मंगलवार को फिर से सदलपुर में गर्भवती मादा हिरण कुत्तों की शिकार बन गई तो दो हिरण आदमपुर गांव के पास मार दिए गए।
वन्य
जीव
विभाग
सुस्त
आदमपुर
क्षेत्र
में
मात्र
एक
सप्ताह
में
सात
हिरणों
मौत
के
बाद
भी
वन्य
जीव
विभाग
चुप
है।
विभाग
के
अधिकारियों
के
पास
महज
योजना
बनाई
जा
रही
है-इसके
अलावा
कोई
जवाब
नहीं
है।
बिश्नोई
समाज
में
वन्य
जीव
विभाग
के
प्रति
काफी
रोष
देखने
को
मिल
रहा
है।
बिश्नोई
समाज
के
प्रधान
कृष्ण
राहड़
ने
कहा
कि
वन्य
जीव
विभाग
ने
यदि
आदमपुर
क्षेत्र
में
हिरणों
की
सुरक्षा
के
लिए
जल्द
ही
ठोस
कदम
नहीं
उठाए
तो
बिश्नोई
समाज
विभाग
के
खिलाफ
आंदोलन
करने
को
मजबूर
हो
जाएगा।
उन्होंने
कहा
कि
विभाग
के
अधिकारी
महज
बयान
देकर
अपने
कत्र्तव्य
से
इतिश्री
कर
लेते
है।
इस
समय
विभाग
के
पास
मात्र
3
ही
सुरक्षा
गार्ड
बताए
जा
रहे
हैं।
ऐसे
में
अंदाजा
लगाया
जा
सकता
है
कि
विभाग
हिरणों
की
सुरक्षा
को
लेकर
कितना
सजग
है।
साढ़े
तीन
साल
की
सजा
का
प्रावधान
हिरण
का
शिकार
करने
पर
तीन
से
साढ़े
तीन
साल
की
सजा
का
प्रावधान
है।
इसके
अलावा
जुर्माना
भी
लगाया
जा
सकता
है।
इस
मामले
की
सुनवाई
पर्यावरण
आदालत
कुरुक्षेत्र
में
होती
है।
इसके
बाद
भी
आदमपुर
क्षेत्र
में
हिरण
का
शिकार
रुकने
का
नाम
नहीं
ले
रहा
है।
इतना
ही
नहीं
अब
तक
जितने
भी
हिरण
के
शिकार
हुए
है-उनका
पर्दापाश
बिश्नोई
समाज
के
लोगों
ने
अपने
स्तर
पर
ही
किया
है।
इसके
बाद
वन्य
जीव
सुरक्षा
अधिकारियों
यहां
पर
हिरणों
की
सुरक्षा
में
कोई
ठोस
कदम
नहीं
उठाए
है।
गांव
मात्रश्याम
में
200,
आदमपुर
में
100,
चौधरीवाली
में
250,
ढाणी
खासा
में
75,
सदलपुर
में
70,
बालसमंद,
बुड़ाक
व
बांड़ाहेड़ी
में
80
हिरण
हैं।