फोनिक्स के महाप्रबंधक का शव दिल्ली में मिला
पुलिस हत्या का मामला दर्ज कर जांच कर रही है। सुबह करीब साढ़े नौ बजे पुलिस को सूचना मिली कि हाईवे पर एक व्यक्ति का शव पड़ा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि मरने वाले व्यक्ति ने कोट पैंट पहन रखा है और उसकी गला रेतकर हत्या की गई है। शरीर पर चोट के निशान भी मिले। जांच के बाद मृतक की पहचान सेक्टर 10 गुड़गांव निवासी सुरेंद्र सिंह (48) के रूप में हुई। जांच में पता चला कि सुरेंद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर स्थित फोनिक्स उद्योग प्राइवेट लिमिटेड में बतौर महाप्रबंधक काम करते थे। वह एयरफोर्स के सेवानिवृत्त अधिकारी थे और पत्नी और दो बच्चों के साथ गुड़गांव में रहते थे। गत 13 जनवरी को वह सिरमौर से गुड़गांव के लिए रवाना हुए। उन्होंने अपनी गाड़ी को अंबाला में पार्क किया। उसके बाद वह किस तरह से यहां तक पहुंचे, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। पुलिस को आशंका है कि उन्हें किसी वाहन से यहां तक लाया गया है।
पुलिस का कहना है कि कहीं अन्य जगह पर हत्या करने के बाद शव को यहां फेंका गया है। पुलिस ने लूटपाट से इनकार किया है। सेक्टर-10 में रहने वाले और फीनिक्स में महाप्रबंधक सुरेंद्र की मौत की खबर से सन्नाटा पसर गया है। हालांकि इसकी जानकारी उनकी पत्नी को नहीं दी गई है। जबकि बेटे और अन्य रिश्तेदार उनके शव को लेने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके हैं। बावल में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सेक्टर 10 में 628 नंबर मकान में रहने वाले सुरेंद्र सिंह मूल रूप से रेवाड़ी के बावल के रहने वाले थे। महज छह माह पहले ही हिमाचल स्थित बद्दी में फीनिक्स ज्वाइन करने के लिए गए थे। उनके दो बच्चे निशांत और बोनी हैं। निशांत की शादी तय हो गई थी। घर में उसकी तैयारी चल रही थी। दिल्ली इलाके में संदिग्ध हालत में मिले शव की खबर के बाद पड़ोसी और रिश्तेदार बेहद गमगीन हैं। सेक्टर दस के आरडब्ल्यूए के महासचिव जोगिंद्र पाल यादव के अनुसार उनके मरने की खबर अभी तक उनकी पत्नी को नहीं दी गई है। सबको डर था कि अचानक सुरेंद्र की मौत की खबर सुनने के बाद उनकी पत्नी का मानसिक आघात पहुंच सकता है। पड़ोसी और रिश्तेदारों के साथ उनके दोनों लड़के शव लेने के लिए दिल्ली गए हुए थे। रविवार रात तक उन्हें शव नहीं मिल सका था। उन्होंने बताया कि कि सुरेंद्र बहुत ही मिलनसार प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। आरडब्ल्यूए की गतिविधियों व सामाजिक कार्यों में उनकी अधिक रुचि रहती थी। उन्होंने बताया कि आमतौर पर सुरेंद्र शुक्रवार रात तक अपने परिवार के पास आ जाते थे और सोमवार सुबह वापस बद्दी के लिए लौट जाते थे। शनिवार की रात तक उनको सेक्टर 10 पहुंचना था।