कांग्रेस पार्टी की गले की फांस बना रिटेल में विदेशी निवेश
असल में कांग्रेस पार्टी खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश लाने के लिए प्रयासरत है, जिसका विरोध विपक्ष के साथ-साथ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के घटक दल भी कर रहे हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस ने मनमाना रवैया दिखाया तो केंद्र में उसकी सरकार गिर सकती है, लिहाजा कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में विदेशी निवेश का मामला सामने आया है। इसी पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री आवास पर बुलाई गई।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य बीच का रास्ता निकालना था, ताकि विदेशी निवेश का बिल लोकसभा में पारित भी हो जाये और सरकार भी नहीं गिरे। फिलहाल बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। हां यह जरूर है कि प्रणब मुखर्जी आज शाम तक तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, डीएमके नेता एम करुणानिधि समेत अन्य नेताओं को मनाने के प्रयास करेंगे। संप्रग को बाहरी सपोर्ट दे रही बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात के लिए भी कांग्रेस अपना कोई दूत उत्तर प्रदेश भेज सकती है।
यही नहीं सूत्रों के मुताबिक अगर आज देर रात तक सभी सहयोगी दल कांग्रेस के पक्ष में खड़े हो गये, तो प्रणब मुखर्जी कल संसद में बयान दे सकते हैं। वैसे देखा जाये तो विदेशी निवेश का यह मुद्दा कांग्रेस सरकार के लिए गले की फांस बन चुका है। क्योंकि अगर इसमें कांग्रेस ने मनमानी की तो सरकार गिरना तय है और अगन सरकार को बनाये रखना है, तो कांग्रेस को विदेशी निवेश की रट खत्म करनी पड़ेगी।