फर्जी पहचान पत्र बनवाकर मंत्री बने बाबू सिंह कुशवाहा
इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव कार्यालय से छह सप्ताह में जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ती अब्दुल मतीन और न्यायमूर्ती वी.के. दीक्षित की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये राज्य चुनाव आयोग को छह सप्ताह में पूरी रिपोर्ट देने को कहा है। जनहित याचिका में कहा गया है कि श्री कुशवाहा का वास्तविक नाम रामचरण कुशवाहा है जो सभी शैक्षणिक अभिलेखों में दर्ज है।
अपना वास्तविक नाम छुपाकर बाबू सिंह के नाम से 2001 और 2006 में विधान परिषद का चुनाव लड़ा और जीते। यहीं नहीं इस बात भी खुलासा हुआ है कि इन्होंने चुनाव आयोग के कायदे-कानून की भी खूब धज्जियां उड़ायी। अपने गैर कानूनी कामों को अंजाम देने के लिए इन्होंने दो मतदाता पहचान पत्र बनाये, एक बाबू ङ्क्षसह के नाम से और दूसरा बाबू सिंह कुशवाहा के नाम से है।
किसी व्यक्ति का दो अलग-अलग नाम से दो जगह मतदाता पहचान पत्र बनवाना एक अपराध है। याचिका में श्री कुशवाहा को दंडित करके मुकदमा चलाने का आग्रह किया गया है। यह भी मांग की गयी है कि मंत्री रहते जो सुविधा, वेतन और भत्ते उन्हें दिये गये हैं उसे वसूल किया जाये। अब देखना यह है कि अदालत इस फर्जीवाड़ा के लिए इन्हें क्या दंड देती है।