मनमोहन सिंह ने 2जी घोटाले का आरोप मारन के सिर मढ़ा
दरअसल 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सारी गड़बडि़यों की शुरुआत यहीं से हुई थी। प्रधामंत्री मनमोहन सिंह ने 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के समय सारे अधिकार दूर संचार मंत्रालय के हाथ दे दिए थे। जिसके बाद मंत्रालय ने न तो 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की और न ही 2001 के बाद से इसकी कीमतें बढ़ाईं। जिस वजह से सरकार को इस आवंटन में लगभग 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। उस समय दूर संचार मंत्री ए राजा थे। जो इस समय घोटाले में फंसकर तिहाड़ जेल में बंद हैं।
ए राजा ने इस घोटाले का आरोप तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी लगाया था। ए राजा ने कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम पर लिए गए निर्णयों की जानकारी पी चिदंबरम और पी चिदंबरम को भी थी। राजा ने इस मामले में पी चिदंबरम को गवाह के तौर पर अदालत में पेश करने की मांग की थी। हाल ही में दयानिधि मारन की वह चिट्ठी सामने आई थी जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से यह मांग की थी कि 2जी स्पेक्ट्रम पर सारे निर्णय दूर संचार मंत्रालय को लेने दिए जाएं। जिससे गठबंधन के दबाव में आकर पीएम ने सारे निर्णय लेने का हक दूरसंचार मंत्रालय को दे दिया था।