भाजपा को तलाश है एक अदद नेता की
चुनाव में पार्टी को मजबूती देने के लिए वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह से लेकर कलराज मिश्र तक को लगाया गया है। पार्टी की तेज तर्रार नेता उमा भारती की भी घर वापसी हो चुकी है, उन्हें भी प्रदेश चुनाव की कमान संभालने का जिम्मा दिया गया है। सूर्य प्रताप शाही बतौर प्रदेश अध्यक्ष भाजपा को मजबूत करने में जुटे हैं। इन तमाम नेताओं के बावजूद अभी भी पार्टी को एक ऐसे नेता की तलाश है जो चुनाव में पार्टी का चेहरा बन सके। भाजपा के पास नेताओं की तो फौज है लेकिन उसे ऐसा नेता चाहिए जिसे वह बतौर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर सके। प्रदेश में चुनाव के वक्त भाजपा कहीं कमजोर न पड़े, पार्टी नेतृत्व की यह चिन्ता जायज है। सवाल यह है कि यदि उपरोक्त नेताओं में किसी को चुना जाता है तो विवाद उत्पन्न हो सकता है।
कारण, कहने को तो उमा भारती व राजनाथ सिंह दोनों को ही चुनाव प्रभारी के तौर पर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गयी है लेकिन दोनों के विचारों में कितनी समानता है यह किसी से छिपा नहीं है। पिछले दिनों उमा भारती के कई कार्यक्रमों में राजनाथ सिंह की अनुपस्थिति इन विवादों को हवा दे चुकी है। भाजपा में प्रभारियों की जमात पर पार्टी नेता कई दफे सफाई दे चुके हैं। उनका मानना है कि यह सब चुनाव में समीकरण बिठाने के लिए किया गया है। कलराज मिश्र को ब्राहमण वोट बैंक संभालने के लिए लगाया है।
वहीं इस दौरान व पार्टी आलकमान को ठाकुर के वोट बैंक दरकने की आहट मिली तो राजनाथ सिंह को यहां भेज दिया गया। पिछले चुनाव में कल्याण सिंह साथ थे तो लोध वोट बैंक की चिन्ता नहीं थी, अब जबकि वह भाजपा विरोधी हो गये हैं तो इस वोट बैंक को बचाने की जिम्मेदारी उमा भारती को दी गयी है। वहीं मध्य प्रदेश के नेता नरेन्द्र तोमर को भी भाजपा का ग्राफ बढ़ाने के मकसद से यहां लाया गया।
बहरहाल भाजपा में जाति समीकरण बिठाने के लिए नेताओं का जमावड़ा तो लगा दिया गया लेकिन प्रभारियों के बीच 'कोल्ड वार' के चलते भाजपा को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है। इसका एहसास अब भाजपा आला नेताओं को भी हो चला है। यही कारण है कि वह ऐसा नेता ढूढ़ रही है जिस पर सभी की सहमति बन सके और विरोधी भी परास्त हों।