तेल की कीमतें में नहीं होगी कटौती
सरकार ने तेल की कीमतें तय करने की जिम्मेदारी तेल कंपनियों पर डाल दी थी। इसके बाद तेल कंपनियों ने सरकार को तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए रिपोर्ट पेश की थी। जिस पर सरकार ने अपनी मुहर लगा दी थी। उस समय कंपनियों ने कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में हुई बढोत्तरी का हवाला देते हुए तेल की कीमतें बढ़ाईं थी।
अगर आंकड़ो पर गौर करें तो 1 बैरल में 160 लीटर तेल होता है। इस हिसाब से कंपनियां चाहें तो डीजल और पेट्रोल की कीमतों में 2 से 3 रुपए प्रति लीटर की कटौती कर सकती हैं। लेकिन कंपनियां इस मौके को अपने पुराने घाटे को पूरा करने में भुना रही हैं। इस हिसाब से जल्द ही कंपनियां अपना घाटा पूरा कर सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में छाई हुई मंदी को देखते हुए आने वाले समय में तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के जल्दी बढ़ने के आसार नहीं हैं।
हमारी सरकार संसद के मानसून सत्र में 2जी स्पेक्ट्रम, कैग रिपोर्ट और राष्ट्रमंडल खेल घोटालों में ही इतनी उलझी हुई है कि उसे तेल की कीमतों से कोई लेना देना ही नहीं है। जब तेल की कीमतें बढ़ाने की बारी हो तो सरकार अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के बढ़ने का हवाला देती है। अब जब कीमतें कम हो गई हैं तो सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। आम जनता को भी तेल की घटती कीमतों के बारे में पता नहीं चल पाता है। इस मामले पर सरकार का विरोध भी कोई पार्टी नहीं कर रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।