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संप्रग से डीएमके का समर्थन वापस, अब केवल मुद्दों पर रिश्‍ता

By Ajay Mohan
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चेन्नई/नई दिल्ली। घोटालों के कारण जनता व विपक्षी दलों के वार सह रही मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार संकट में पड़ गई है। तमिलनाडु की सत्‍तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने संप्रग से हटने का फैसला किया है। हालांकि रिश्‍ता अभी पूरी तरह नहीं टूटा है। डीएमके ने कहा है कि वो संप्रग से केवल मुद्दों के आधार पर समर्थन जारी रखेगी। यानी जिस मामले में उसे ठीक लगेगा, उसी पर वो समर्थन देगी। यह सब कुछ तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर हुए झगड़े के बीच शनिवार शाम हुआ।

तमिलनाडु चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के साथ सीटों पर साझेदारी न बन पाने के कारण डीएमके ने शनिवार को संप्रग सरकार से हटने का फैसला किया। पार्टी ने कांग्रेस से सात वर्ष पुराना नाता तोड़ते हुए सरकार को केवल 'मुद्दों पर आधारित समर्थन देने' का फैसला किया है। पार्टी ने सरकार में शामिल अपने मंत्रियों को इस्तीफा देने के लिए कहा है। कहा जा रहा है डीएमके ने दबाव की रणनीति के तहत यह फैसला किया है।

2जी मामले से कोई मतलब नहीं

पार्टी के वरिष्ठ नेता टीआर बालू ने हालांकि स्पष्ट किया कि पार्टी के इस फैसले का सम्बंध 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में जेल में बंद पार्टी के पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा और करूणानिधि के परिवार के नियंत्रण वाले टेलीविजन चैनल क्लैगनार पर सीबीआई द्वारा मारे गए छापे से नहीं है। डीएमके के इस फैसले पर कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि डीएमके के साथ जो कुछ भी समस्याएं हैं उसे वह दूर कर लेगी। फिलहाल संप्रग को कोई खतरा नहीं।

तमिलनाडु के सीएम एम करूणानिधि और उपमुख्‍यमंत्री एमके स्टालिन की अध्‍यक्षता में हुई बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि डीएमके कांग्रेस के नेतृत्ववाली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को केवल 'मुद्दों पर आधारित समर्थन' देगी।

कांग्रेस और डीएमके के बीच पैदा हुई इस दरार का कारण विधानसभा सीटों की साझेदारी पर सहमति न बनना बताया गया है। तमिलनाडु विधानसभा की 234 सीटों में से कांग्रेस 63 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी। करूणानिधि कांग्रेस की इस मांग को सार्वजनिक रूप से 'असंगत' बता चुके हैं।

डीमके नेताओं के मुताबिक कांग्रेस के साथ जब कभी भी सीटों की साझेदारी को लेकर वार्ता में सहमति बनी है। उसके बाद कांग्रेस ने नई मांगों की पेशकश की है। डीएमके ने कहा कि सरकार में शामिल पार्टी के छह मंत्री अपना इस्तीफा सौंपने के लिए नई दिल्ली जाएंगे। डीएमके के एक बयान में कहा गया कि पार्टी कांग्रेस को विधानसभा की 60 सीटें देने के लिए तैयार थी लेकिन कांग्रेस की मांग 63 सीटों की थी।

करूणानिधि ने कहा कि वह पहले कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में 51 सीटें देना चाहते थे लेकिन उन्होंने यह संख्या बढ़ाकर 53 फिर 55 और अंत में 60 कर दी। उन्होंने कहा, "कांग्रेस द्वारा 63 सीटों की मांग करना क्या व्यावहारिक है?"

उल्लेखनीय है कि डीएमके ने 52 सीटें देकर पांच पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन किया है। इनमें केएमके (7), एमएमके (1), वीसीके (10), पीएमके (31) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (3) शामिल हैं। कांग्रेस को 60 सीटें देने के बाद डीएमके के पास अपने लिए मात्र 122 सीटें बचेंगी। यदि वह कांग्रेस को 63 सीटें दे देती है तो डीएमके के पास 119 सीटें बचेंगी, जो कि 234 सदस्यीय विधानसभा की आधी संख्या से मात्र दो सीट अधिक है। तमिलनाडु में 13 अप्रैल को चुनाव होने हैं।

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English summary
The scam-scarred UPA has got new shock as DMK deciding to withdraw its ministers from the Union cabinet on Saturday. DMK will only support on issue based politics.
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