अलागिरी ने नहीं दिया है इस्तीफा
चेन्नई। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले पर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के भीतर मतभेद गहराने पर फैले अफवाह को खारिज करते हुए पार्टी सूत्रों ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री एम. के. अलागिरी केंद्रीय मंत्रिमंडल और पार्टी पद से इस्तीफा नहीं दिया हैं।तमिलनाडु में बुधवार को दिन भर यह अफवाह हवा में तैरता रहा कि अलागिरी ने केंद्र सरकार में मंत्री और पार्टी के संगठन सचिव (दक्षिण) दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया है।
इस मुद्दे पर न तो डीएमके और न ही अलागिरी कोई टिप्पणी देने को तैयार हैं। लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से कहा, "दोनों में से कोई घटना नहीं हुई है।"अलागिरी के करीबी सूत्रों ने जोर देते हुए कहा कि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दिया है।एक पार्टी नेता के अनुसार आमतौर पर इस्तीफा पार्टी मुख्यालय में या महासचिव को सौंपा जाता है।
उन्होंने कहा, "इस्तीफा के मुद्दे पर केवल मुख्यमंत्री करुणानिधि को स्थिति के बारे में अच्छी तरह पता है। लेकिन कल (मंगलवार) वह प्रसन्न मुद्रा में दिखे थे और उन्होंने किसी तरह के संकट का संकेत नहीं दिया।"राजा इस घोटाले के केंद्र बिदु हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने बाजार दर से कम मूल्य पर 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया, जिससे केंद्र सरकार को भारी क्षति हुई है।
राजा ने आरोप से इंकार किया है, लेकिन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने घोटाले में उनकी संलिप्ता को लेकर उनसे लंबी पूछताछ की है। इस कारण पार्टी को शर्मिदा होना पड़ा है।अलागिरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजा या करुणानिधि की पुत्री एम.के. कनिमोझी का सहयोग मिल रहा था। लेकिन कनिमोझी के कारपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया से सम्बंध होने की बात भी सामने आ चुकी है।
यह
भी
कहा
जा
रहा
है
कि
अलागिरी
तमिलनाडु
में
सूचना
एवं
प्रौद्योगिकी
मंत्री
पूंगोथाई
अलादि
अरुणा
से
नाराज
हैं,
क्योंकि
टेप
से
पता
चला
है
कि
राडिया
के
साथ
फोन
पर
बातचीत
के
दौरान
उन्होंने
अलागिरी
का
जिक्र
भी
किया
था।उल्लेखनीय
है
कि
अलागिरी
करुणानिधि
के
बड़े
बेटे
हैं।
काफी
प्रयास
के
बावजूद
आईएएनएस
का
उनसे
संपर्क
नहीं
हो
सका।