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फ्रांस से रोमा के निष्कासन के खिलाफ आवाज उठाए भारत (लीड-1)

By Staff
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टोरंटो, 29 अगस्त (आईएएनएस)। कनाडा में भारतीय मूल के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और नेता उज्जल दोसांझ ने कहा कि भारतीय मूल के रोमा लोगों के निष्कासन के मामले में भारत को फ्रांस के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

ज्ञात हो कि रोमा लोगों को जिप्सी भी कहा जाता है। इन लोगों ने दावा किया है कि उनकी जड़ें उत्तर भारत से जुड़ी हुई हैं, जहां उन्हें गुलाम बनाया गया और अफगानिस्तान व तुर्की के आक्रमणकारियों ने 10 लाख वर्ष पूर्व उन्हें वहां से उठा ले गए थे। उसके बाद 14वीं व 15वीं शताब्दी में वे मध्य एवं पूर्वी यूरोप में फैल गए, जहां उन्हें तभी से व्यवस्थागत भेदभाव का सामना करना पड़ा है।

अभिनेता चार्ली चैपलिन और नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक अगस्त क्रोग प्रसिद्ध सैकड़ों रोमा लोगों में शामिल हैं। जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है।

संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य संगठनों के विरोध को दरकिनार करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने रोमा प्रवासियों के सामूहिक निष्कासन का आदेश दिया है। इन प्रवासियों को दंगों और अपराध में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। रोमा प्रवासी रोमानिया और बुल्गारिया से फ्रांस आए थे। दोनों देश 2007 में यूरोपीय संघ में शामिल हुए थे।

इस वर्ष 8,000 से अधिक रोमा प्रवासियों को निष्कासित किया जा चुका है। फ्रांस इसके बदले हर रोमा वयस्क प्रवासी को 300 यूरो और प्रति बच्चे को 100 यूरो का भुगतान कर रहा है।

फ्रांस की कार्रवाई की निंदा करते हुए दोसांझ ने आईएएनएस को बताया, "मैं भारतीय मूल का हूं और मैं महसूस करता हूं कि रोमा प्रवासियों के साथ अन्याय किया जा रहा है, जिनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं। यद्यपि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चंडीगढ़ में पहला रोमा वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया था, लेकिन भारत इन लोगों के साथ खड़ा नहीं हुआ है। भारत को अब इन लोगों के पक्ष में बोलना चाहिए। भारत की इन लोगों के प्रति एक नैतिक जिम्मेदारी बनती है।"

उन्होंने कहा, "रोमा लोगों ने अपने आप देश नहीं छोड़ा था, बल्कि 11वीं शताब्दी में गजनी के सुल्तान ने 17 बार भारत पर आक्रमण किया था और इस दौरान इन्हें गुलाम बनाकर भारत से लाया था। बाद में इन लोगों ने खुद को आजाद किया और 14वीं और 15 शताब्दी में पूरे यूरोप में फैल गए। यहां उन्हें गैर जरूरी अल्पसंख्यक माना गया और उनके साथ भेदभाव किया गया। उनकी कोई मजबूत आवाज नहीं थी। फ्रांस भी अब इन लोगों को निष्काषित करने वाले स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी और इटली जैसे देशों में शामिल हो गया है।"

संयुक्त राष्ट्र, वेटिकन और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा की जा रही आलोचना के बीच फ्रांस ने अगले सप्ताह तथाकथित रोमा विरोधी एक बैठक बुलाई है। बैठक में कनाडा हिस्सा लेने जा रहा है। दोसांझ ने कहा, "इस बैठक में कनाडा की भागीदारी से उसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि खराब होगी। सरकोजी ने कनाडा को इसलिए आमंत्रित किया है, क्योंकि कनाडाई सरकार भी फ्रांस की ही तरह दक्षिणपंथी है। लेकिन उन्होंने रोमानिया, पोलैंड और बुल्गारिया को नहीं आमंत्रित किया है, जहां से कि ये रोमा प्रवासी फ्रांस पहुंचे थे।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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