वीजा शुल्क वृद्धि पर भारत के संपर्क में अमेरिका
वाशिंगटन, 17 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिका ने कहा है कि वीजा शुल्क में वृद्धि के नए कानून को लागू करने के लिए वह भारत के साथ व्यापक विचार-विमर्श करेगा। इस कानून के लागू होने से सबसे अधिक नुकसान भारतीय कंपनियों को होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा भारतीय तथा अमेरिकी उद्योग जगत की चिंताओं की अनदेखी करके शुक्रवार को नए कानून पर हस्ताक्षर करने के बारे में जब पूछा गया तो विदेश विभाग के प्रवक्ता फिलिप क्राउले ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, "हम विधेयक पर भारतीय अधिकारियों के साथ बात कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हम इसके क्रियान्वयन पर चर्चा कर रहे हैं। हम इस सुझाव की समीक्षा कर रहे हैं कि यह विधेयक विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुरूप नहीं है।"
नए कानून में प्रस्ताव है कि जिन कंपनियों में एच-1बी वीजा धारक कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है उन्हें कुशल पेशेवरों के प्रति वीजा के लिए अब 320 डॉलर के स्थान पर 2,320 डॉलर का भुगतान करना होगा। इसी प्रकार बहु-देशीय स्थानांतरण वाले एल वीजा के लिए 320 डॉलर के स्थान पर 2,570 डॉलर शुल्क चुकाना होगा।
भारतीय अधिकारियों और अमेरिका-भारत व्यापार परिषद ने चेतावनी दी है कि नए भेदभावकारी कानून से दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को नुकसान हो सकता है। परिषद में भारत के साथ व्यापार करने वाली अमेरिका की शीर्ष 300 कंपनियां शामिल हैं।
विधेयक के संक्षिप्त संस्करण में विप्रो, टाटा, इंफोसिस और सत्यम का नाम ऐसी कंपनियों के रूप में दर्ज किया गया है जो हजारों कर्मचारियों को अमेरिका में अपने ग्राहकों के लिए तकनीकी कर्मियों और इंजीनियर के तौर पर काम करने के लिए भेजती हैं।
विधेयक के समर्थकों का कहना है कि काफी अधिक कंपनियां अमेरिकी वीजा कानून का दुरुपयोग कर देश में कामगारों का आयात करती हैं।
क्राउले ने कहा, "हम अभी किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचे हैं लेकिन हम सुनिश्चित नहीं है कि डब्ल्यूटीओ से संबंधित कोई मुद्दा उठ रहा है।"
उन्होंने कहा, "हम कांग्रेस से पारित और राष्ट्रपति ओबामा द्वारा हस्ताक्षरित कानून के भारतीय कंपनियों और व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने का प्रयास कर रहे हैं। इसे लागू करने के लिए हम भारतीय अधिकारियों के निकट संपर्क में हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।