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हल्दीराम के मालिक की याचिका पर सुनवाई से इंकार (लीड-1)

By Staff
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नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने कोलकाता में चाय की दुकान लगाने वाले एक व्यक्ति की हत्या की साजिश रचने के दोषी हल्दीराम समूह के मालिक प्रभु शंकर अग्रवाल की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने से इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि वह उपयुक्त राहत के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय में गुहार लगाए। सर्वोच्च न्यायालय की इस खंडपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय अपने पूर्व में लिए गए फैसले से प्रभावित हुए बिना इस मामले की सुनवाई करेगा।

अग्रवाल ने इससे पहले उसे दी गई सजा पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में अपील की थी, उच्च न्यायालय में हुए फैसले के बाद ही उसने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

अग्रवाल के वकील यू.यू. ललित ने कहा कि उनके मुवक्किल को आईपीसी (इंडियन पेनल कोड) की धारा 307 के अंतर्गत हत्या के लिए हमला करने के मामले में सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि घटना के वक्त वह मौजूद नहीं थे।

जब न्यायमूर्ति वर्मा ने वरिष्ठ वकील को उच्च न्यायालय में अपनी अपील दोबारा प्रस्तुत करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि हम सजा पर रोक लगाने के लिए जरूरी सभी उपलब्ध तर्क उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास कोई नया तर्क उच्च न्यायालय के सामने प्रस्तुत करने के लिए नहीं है।

उच्च न्यायालय के निर्णय की आलोचना करते हुए वरिष्ठ वकील ने कहा कि आपराधिक न्यायशास्त्र के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी व्यक्ति को एक धारा के तहत आरोपी बनाया गया और दूसरी धारा के तहत दोषी करार दिया गया हो।

वकील ने कहा, "मुवक्किल को धारा 307 के तहत आरोपी नहीं बनाया गया और वह अपराध के समय मौजूद नहीं था।"

जब न्यायमूर्ति ने दोहराया कि वह दोबारा उच्च न्यायालय जाएं तो वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह उच्च न्यायालय जाएंगे सर्वोच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करे कि उन्हें पूरी आजादी दी जाएगी, अन्यथा में कोर्ट के निर्णय से बंधा हुआ हूं।

अग्रवाल पर आरोप था कि उसने चाय की दुकान चलाने वाले प्रमोद शर्मा ठाकुर की हत्या के लिए सुपारी दी थी। इसके गोपाल तिवारी और उसके तीन साथियों ने प्रमोद को गोली मार दी थी हालांकि उसकी जान बच गई थी।

गौरतलब है कि अग्रवाल और चार अन्य को इसी साल जनवरी में कोलकाता की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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