भूख से 8 माह की बच्ची की मौत
सुंदर कुछ दिन पूर्व तक बहुत खुश था, क्योंकि उसे कांशीराम आवास योजना से घर मिल गया था। वह रंगाई-पुताई का काम करता था, लेकिन अचानक वह क्षय रोग (टीबी) की चपेट में आ गया, जिससे उसका रोजगार भी छूट गया। इस दौरान उसकी पत्नी ने घरों में चौका-बर्तन कर पेट भरने का रास्ता चुन लिया, लेकिन वहां से भी उसे पेट पालने के लिए ज्यादा नहीं मिल पाता था।
सुंदर के अनुसार उसे कई दिनों से काम नहीं मिला था। जब वह काम की खोज में गया तो बच्चे भूख से तड़प रहे थे। जब वह वापस आया तो उसकी बेटी करुणा भूख के कारण दम तोड़ चुकी थी। बेटे की हालत भी गंभीर हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
सुंदर के अनुसार गरीबी के कारण वह अपने बच्चों का ठीक से पालन- पोषण नहीं कर पाया था। उचित देखभाल न होने से दो साल पहले भी उसके दो बीमार बेटे कृष्ण व तीन माह के निखिल की मौत हो गई थी।
कांशीराम आवास मिलने से पहले सुंदर कृष्णापुरी में एक खंडहरनुमा कमरे में प्लास्टिक के तिरपाल डालकर रहता था। पैसे के आभाव में वह बच्चों का इलाज नहीं करा पाया था। उसके बच्चों की मौत के बाद अब सवाल उठ रहा है कि बाल पोषाहार विभाग किन बच्चों को पोषाहार दे रहा है? गरीबों के कल्याण के लिए बने बीपीएल राशन कार्ड, अंत्योदय राशन कार्ड, स्वास्थ्य बीमा योजना, बीमारी अंशदान आखिर किन लोगों के लिए है? इस परिवार में कोई आंगनवाड़ी कार्यकर्ता क्यों नहीं पहुंची। न ही इस परिवार को किसी गरीब कल्याण योजना से जोड़ा गया।
जिलाधिकारी संतोष यादव का कहना है कि सुंदर के दोनों बच्चे सूखा रोग की चपेट में थे। उसके बच्चों की मौत भूख से न होकर इलाज के अभाव में हुई है
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।