विधानसभा सदस्य बने बिना सोरेन
रांची, 31 मई (आईएएनएस)। झारखण्ड मुक्ति मार्चा के नेता शिबू सोरेन देश के एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने बिना विधानसभा के सदस्य बने दस माह तक झारखण्ड की बागडोर संभाली थी।
झारखण्ड में सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी द्वारा 28 अप्रैल 2010 को समर्थन वापस लेने के बाद 31 मई को शिबू सोरेन को विधानसभा में बहुमत साबित करना था, लेकिन 30 मई को ही उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफो दे दिया।
शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी ने पहली बार दो मार्च 2003 को झारखण्ड के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। वे उस समय भी विधानसभा के सदस्य नहीं थे। यद्यपि 11 दिन के बाद ही उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफो देना पड़ा था।
दूसरी बार 27 अगस्त 2008 को गुरुजी एक बार फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे। जब विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिए उन्होंने तमाड़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तो उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा और फिर उन्हें 19 जनवरी 2009 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। फिर 30 दिसंबर 2009 को गुरुजी मुख्यमंत्री बन गए और इस समय भी वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे। इन्हें पांच माह के बाद 30 मई 2010 को एक बार फिर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
गौरतलब है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन के पूर्व और फिर बाद में शिबू सोरेन ने ही राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।