'सुपर थर्टी' टाइम का 'द बेस्ट ऑफ एशिया'
पत्रिका ने लिखा है कि 'सुपर थर्टी' के संचालक आनंद कुमार एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं, जिससे भारत के उन निर्धन प्रतिभाशाली बच्चों का भविष्य बन रहा है जिन्हें मुश्किल से अवसर प्राप्त होता है।
पत्रिका में 'सुपर थर्टी' को एशिया का सबसे अच्छा संस्थान घोषित करने पर आनंद कुमार ने शुक्रवार को बताया कि सुबह में ही इसकी सूचना उन्हें फोन पर मिली थी। उन्होंने कहा कि यह मेरे और 'सुपर थर्टी' के लिए ही नहीं बल्कि पूरे बिहार और भारत के लिए गौरव का विषय है।
वह कहते हैं कि जहां कई प्रतिष्ठित लोगों के नाम आते हों वहां बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लोगों के नाम का आना सचमुच गौरव की बात है। उन्होंने इसका श्रेय पूरे बिहारवासियों को देते हुए उनके समर्थन के लिए धन्यवाद भी दिया।
आनंद अपने सपने के बारे में कहते हैं कि वह एक ऐसा आवासीय विद्यालय खोलना चाहते हैं जिसमें छठे वर्ग से ही मेधावी गरीब बच्चों को प्रशिक्षित कर उन्हें शिक्षा के उच्च पायदान तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस वर्ष से 'सुपर थर्टी' में छात्रों की संख्या बढ़ाकर 60 कर दी गई है।
इधर, इस सूचना के बाद आनंद की मां जयंती देवी ने आईएएनएस को कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है। वह कहती हैं कि दुनिया की हर मां को ईश्वर आनंद जैसा ही बेटा दें।
उल्लेखनीय है कि 'सुपर थर्टी' में 30 गरीब बच्चों को भारतीय प्रैाद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है। सुपर थर्टी की शुरुआत वर्ष 2003 में पटना में किया गया था।
पहले वर्ष 30 छात्रों में से 18 छात्रों ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता पायी जबकि उसके अगले वर्ष 2004 में 22 छात्र प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। इसके बाद वर्ष 2005 में 26, 2006 में 28, 2007 में 28 और इसके बाद के वर्षो में सभी 30 छात्र प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।
गौरतलब है कि 'सुपर थर्टी' में 30 गरीब बच्चों का ही नामांकन होता है जिन्हें नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।