कसाब को सरेआम फांसी दी जानी चाहिए : पीड़ित
मुंबई, 2 मई (आईएएनएस)। मुंबई हमले में मारे गए लोगों के परिजनों व पीड़ितों का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब पर किसी भी प्रकार का दया दिखाने की जरूरत नहीं है। उसे तो सरेआम फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।
साठ वर्षीय मोहम्मद हनीफ पीर मोहम्मद का भी यही मानना है। वह कहते हैं, "उन आतंकवादियों ने मेरे बहनोई की हत्या की थी। कसाब को तो छोड़ा नहीं जाना चाहिए। उसे तो सरेआम फांसी होनी चाहिए।"
ताजमहल पैलेस पर हुए हमले के दौरान बाल-बाल बचीं 71 वर्षीय इंदु मनसुखानी कहती हैं कि कसाब को आजीवन कारावास की सजा देने का कोई मतलब नहीं है। "वह हत्यारा है। उस पर दया दिखाने की आवश्यकता नहीं है।"
इन पीड़ितों को तीन मई यानी सोमवार का इंतजार है। इसी दिन कसाब को सजा सुनाई जानी है।
आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख शहीद हेमंत करकरे की विधवा कविता करकरे ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "देखते हैं, अदालत क्या फैसला सुनाती है। उसके बाद ही मैं आपसे बात करूंगी।"
कई पीड़ितों का तो यहां तक कहना है कि कसाब को फांसी दी जानी चाहिए और उसका सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।
लियोपोर्ल्ड कैफे पर हमले में बचे भरत गुज्जर कसाब को जिंदा रखे जाने के बिल्कुल खिलाफ हैं। वह कहते हैं, "मैंने सुना है कि पाकिस्तानी सरकार ने कसाब को अपनी हिरासत में रखने की मांग की है। यदि यह हो गया तो वह बच जाएगा। आजीवन कैद की सजा भी उसके लिए कम होगी।"
शहीद रेलवे अधिकारी सुशील कुमार शर्मा की विधवा रागिनी एस. शर्मा कहती हैं, "कसाब को कड़े से कड़ा दंड मिलना चाहिए। उसे इस बात का अहसास कराया जना चाहिए कि उसके कृत्यों ने हमारे प्रियजनों की जान ले ली। उसे सरेआम फांसी होनी चाहिए।"
हमले में शहीद सहायक उपनिरीक्षक बालासाहब भोंसले के बेटे दीपक भोंसले ने कहा कि उन्हें खुशी है कि न्याय मिलने का दिन नजदीक आ गया है।
"यद्यपि 17 महीने गुजर गए है, लेकिन खुशी है कि न्याय मिलने की घड़ी नजदीक आ गई है। उसने कई निर्दोष लोगों की जान ली है। उसे फांसी होनी चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।