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पदवी को लेकर साधु-संतों में अखाड़ेबाजी

By Jaya Nigam
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हरिद्वार। कुंभ में पहुंचे साधु-संतों के बीच अपनी-अपनी पदवी को लेकर गहरा वामनस्य है। वैसे तो आम आदमी ये जानता ही नहीं कि इन पदवियों को घोषित कौन करता है या उसे मान्यता कौन देता है। लेकिन घमासान की जड़ फर्जी पदवी हैं।

सबसे पहले कुंभ मेले में फर्जी शंकराचार्य का मामला सामने आया। इसके बाद अब फर्जी रामनंदाचार्य की नयी कड़ी खुल रही है। आया है। रामनंदाचार्य के रूप में जाने जाने वाले राम नरेशाचार्य महाराज का कहना है कि कई फर्जी रामनंदाचार्य हैं। उन्होने यह भी कहा कि वह इस मसले के निबटारे के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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नरेशाचार्य महाराज के नेतृत्व में वैष्णव संत इस मुद्दे पर आंदोलन भी कर सकते है। नरेशाचार्य महाराज ने तमाम विवादित संतों को जमीन आवंटित किए जाने पर भी नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने कहा कि आवंटन से पूर्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से भी विचार विमर्श करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

नरेशाचार्य महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को भी अपने नियमों में संशोधन करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले को केवल साधु संतों की पदों की प्रतिस्पर्धा के लिए ही याद किया जाएगा। उनका कहना था कि वैष्णवों के 669 खालसे बन चुके हैं।

नरेशाचार्य महाराज ने कहा कि चारों सम्प्रदायों के महामण्डलेश्वर भी बढ़ते जा रहे हैं, जो भविष्य में कुंभ की व्यवस्थाओं के लिए चुनौती बन सकते हैं। उल्लेखनीय है कि रामानंद सम्प्रदाय के 80 आश्रम हैं, जिनमें तिरूपति भी शामिल हैं। इनमें से मुख्य श्रीमठ है, जिसपर आसीन व्यक्ति ही रामनंदाचार्य है। जबकि विभिन्न अखाड़े तमाम रामनंदाचार्य घोषित कर रहे हैं।

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