चक्रवाती तूफान से मरने वालों की संख्या 128 हुई (राउंडअप)
सैकड़ों पीड़ितों का सरकारी अमले के रवैये के प्रति गुस्सा भी अब फूटने लगा है क्योंकि वे घरविहीन हो गए हैं और भोजन तथा दवाई संबंधी उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।
बिहार में तूफान से मरने वालों की संख्या बढ़कर 81 हो गई है जबकि पश्चिम बंगाल में 43 और असम में चार हो गई है। भारी संख्या में गिरे पेड़, तबाह हुए मकान, फसलों की बर्बादी और मवेशियों व आम आदमी की मौत तूफान के इस मंजर की कहानी बयां करने के लिए काफी हैं।
बिहार के सीमांचल जिलों में तूफान का प्रभाव सबसे अधिक रहा, जहां मरने वालों की संख्या बढ़कर 81 हो गई है। इसमें सबसे अधिक मौतें पूर्णिया तथा अररिया जिले में हुई है। राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में युद्धस्तर पर राहत कार्य चलाने का दावा किया है।
पूर्णिया जिले के तेतरीबाड़ी गांव के नौशाद आलम ने आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा, "हम भूखे हैं। हमारे बच्चे भेजन के लिए रो रहे हैं लेकिन अब तक किसी प्रकार की कोई सहायता हम तक नहीं पहुंची है।" इत्तेफाक से आलम का फोन काम कर रहा था। तूफान से किशनगंज, कटिहार और सुपौल जिले भी प्रभावित हुए हैं।
राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रभावित सभी जिलों में युद्घस्तर पर राहत कार्य चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल राहत के लिए प्रभावितों को अनाज और नकद राशि मुहैया करा रही है।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार पूर्णिया में 39, अररिया में 33 और कटिहार में सात लोग तूफान में मारे गए। इसके अलावा किशनगंज और सुपौल में एक-एक व्यक्ति की मौत की सूचना है।
अररिया के उप विकास आयुक्त एवं प्रभारी जिलाधिकारी उदय कुमार ने बताया कि प्रभावित सभी क्षेत्रों में राहत कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मृतकों के परिजनों को 1.5 लाख रुपये दिए जा रहे हैं।
कुमार ने कहा कि तूफान से सबसे अधिक मौतें जोकीहाट प्रखंड में हुई। यहां तूफान की चपेट में आने से 11 लोगों की मौत हो गई। प्रभावित इलाकों में चिकित्सकों का दल भी भेजा गया है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव रवि परमार ने बताया कि पूर्णिया और अररिया में चिकित्सकों के तीन दल भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि कटिहार, किशनगंज और सुपौल में भी चिकित्सक दल भेजे गए हैं।
बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तूफान में मारे गये लोगों के परिजनों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये और जिनके मकानों को क्षति पहुंची हैं, उन्हें इंदिरा आवास देने की घोषणा की थी।
उधर, पश्चिम बंगाल में चक्रवात से मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है। अधिकारियों के अनुसार 200 से अधिक घायल अभी भी अस्पतालों में हैं।
राज्य का उत्तरी हिस्सा करीब 30 मिनट तक रहे इस तूफान से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। तूफान से करीब 100,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए। उत्तरी दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी जिलों में हजारों लोग इससे प्रभावित हुए। यहां 200 से अधिक लोग अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं।
अधिकारियों के अनुसार दिनाजपुर के चार प्रखंड-करनडीघी, रायगंज, कालियागंज और हेमताबाद तूफान से सबसे अधिक प्रभावित हुए। करनडीघी में 18 लोगों की मौत हुई है।
अपर्याप्त राहत के विरोध में कई स्थानों पर तूफान पीड़ितों के प्रदर्शन की भी खबरें हैं।
राज्य के पर्यटन मंत्री मानब मुखर्जी को जिले में स्थिति का आकलन करने के लिए भेजा गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि राहत कार्यो में कुछ समस्याएं आ रही हैं।
इलाके में सड़कों को यातायात के लिए खोल दिया गया है। सरकार ने हर मृतक के परिवार को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
मंत्री ने कहा कि जिनके घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं उनको 10,000 रुपये और जिन मकानों को आंशिक क्षति हुई है उनके मालिकों को 2,500 रुपये की सहायता मिलेगी।
अधिकारियों ने प्रभावित लोगों तक आपात दवाएं, भोजन, पाउडर दूध, तिरपाल, कपड़े और कंबल पहुंचाने का प्रयास करने का दावा किया है।
तूफान का असर असम में भी था लेकिन यहां जान माल का उतना नुकसान नहीं हुआ जितना की बिहार और बंगाल में हुआ। असम में चार लोगों की इससे मौत हुई जबकि 500 घर तबाह हुए हैं।
गुवाहाटी से 30 किलोमीटर के दायरे में स्थित हाजो क्षेत्र के किसान अभीर दास ने कहा, "कुछ ही मिनटों के भीतर मेरा सब कुछ तबाह हो गया। हम बर्बाद हो गए।"
तूफान का सबसे ज्यादा असर राज्य के कामरूप, नलबाडी, ढुबरी और नगांव जिले में दिखा। राज्य के राहत व पुनर्वास मंत्री भूमिधर बर्मन ने कहा, "राहत व अन्य जरूरतों को पहुंचाने के लिए हम सभी कदम उठा रहे हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।