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..बयानों से क्या लौट आएंगे वीर!

By गिरीन्द्र
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नई दिल्ली। "एक हजार नक्सली, पुरानी रणनीति और 76 जवान बने शिकार। हमले की निंदा हुई, बैठक हुई, बयानबाजी हुई। बयान आया कि चूक हो गई। इन सबके बीच सबने कुछ न कुछ जरूर कहा..लेकिन बयानों से क्या हमारे वीर लौट आएंगे?"

नक्सलियों ने अब तक के भीषण हमले में मंगलवार को शहीद हुए 76 सुरक्षाकर्मियों की शहादत पर ब्लॉग जगत में चर्चा हो रही है। उपरोक्त टिप्पणी ब्लॉग 'मोहल्ला' की है। यहां 'लहूलुहान छत्तीसगढ़' शीर्षक से दंतेवाड़ा जिले के घने जंगलों में हुए नक्सली हमले पर टिप्पणी की गई है।

'कस्बा' की टिप्पणी है, "पी.चिदंबरम उदास हैं। दंतेवाड़ा में हुए हमले के बाद उनकी जो भी तस्वीरें छप रही हैं, उनमें एक किस्म की उदासी है। घटना की नैतिक जिम्मेदारी की भंगिमा समझ नहीं आई। चिदंबरम ने क्या सोचा था, युद्ध भी करेंगे और जान भी नहीं जाएगी। जान तो दोनों तरफ से जानी है। खून चाहे इधर बहे या उधर बहे, अपना ही है।"

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'आइये करें गपशप' ने कहा, "76 जानें कोई मामूली जानें नहीं थी। अगर एक व्यक्ति पर पांच व्यक्ति भी निर्भर था तो इससे 380 लोगों के जीवन में अंधकार और दुख का साया मंडराने लगा है। हमारा सीधा सवाल इन नक्सलियों और तथाकथित आंदोलनकारियों और पिछड़े लोगों के हिंसात्मक संघर्ष को समर्थन देने वालों से है। इतने बड़े जनसंहार के बाद भी क्या नक्सली माफी योग्य हैं?"

'विस्फोट डॉट कॉम' की टिप्पणी है कि 'अमेरिकी स्टाइल' में नक्सलवाद को नहीं मिटाया जा सकता है। नक्सली प्रभावित इलाकों के बारे में कहा गया, "आखिर इन इलाकों में नक्सली क्यों एकाएक बढ़े। इसका कारण तो सरकार तलाशे। ये वही इलाके हैं जहां पानी के बिना लोग प्यास से मर रहे हैं। ये वही इलाके हैं जहां स्वास्थ्य सेवा के बिना लोग बीमारी से मर रहे हैं। यह भयावह स्थिति पूरे देश में आ सकती है। सरकार के पास अभी भी चेतने का समय है। अगर सरकार समय पर नहीं चेती तो आने वाले समय में पूरे देश में हालात खराब होंगे।"

दंतेवाड़ा में नक्सली के हमले के साथ सानिया मिर्जा और शोएब मलिक प्रकरण पर भी ब्लॉग जगत में टिप्पणियां पढ़ी जा सकती है। 'आइये करें गपशप' का कहना है कि 'दंतेवाड़ा से ज्यादा सानिया एपिसोड का प्रसारण.सिर पटकने का मन करता है.।' ब्लॉग ने टिप्पणी करते हुए मीडिया से सवाल पूछा है, "क्या शहादत को इस तरह नजरअंदाज करना जायज है? ये एक अहम सवाल है। जिस प्रकार मुंबई के समय मीडिया एक हो गया था, सारी खबरें पीछे छूट गई थी और वही एक खबर सबके लिए थी। वैसा ही मामला दंतेवाड़ा भी है..।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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