बहरेपन का इलाज संभव : वैज्ञानिक
इस खोज से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होने वाले बहरेपन के इलाज में मदद मिल सकती है। बहरेपन से संबंधित आधे मामले विरासत की देन होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीन्स के माध्य से यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचता है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे कई परिवारों पर अध्ययन किया जिनके कई सदस्य बहरेपन का शिकार थे और पाया कि प्रोटीन टाइरोसिन फॉस्फेट, रिसेप्टर टाइप, क्यू (पीटीपीआरक्यू) जीन्स इसके लिए जिम्मेदार है।
रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डीफ पीपुल (आरएनआईडी) ने इस शोध के लिए धन मुहैया कराया है।
आरएनआईडी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार सोहालिया रसतान कहते हैं, "इस शोध से ऐसी दवाओं को विकसित करने में मदद मिलेगी जिससे इस तरह के बहरेपन से प्रभावित लोगों का इलाज किया जा सके।"
पिछले कुछ महीनों के दौरान वैज्ञानिकों ने विरासत से जुड़े बहरेपन से संबंधित दो अन्य जींस का भी पता लगाया है।
ब्रिटेन में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में करीब 840 बच्चे जन्मजात बहरेपन से ग्रस्त रहते हैं। साथ ही तीन साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते 1,000 बच्चों में एक बहरेपन का शिकार बन जाता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।