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भारत 15 अप्रैल को प्रक्षेपित करेगा भारी संचार उपग्रह

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने बुधवार को बताया, "केवल पांच देशों के पास उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने वाला क्रायोजेनिक इंजन प्रक्षेपण की तकनीकी मौजूद है। भारत उनमें छठवां देश है, जो खुद ही इस तकनीकी को निर्मित किया है।"

पांच अग्रणी देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन शामिल हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 1992 में अमेरिका ने रूस से भारत को क्रायोजेनिक तकनीकी देने से रोक दिया था। फिर इसरो ने खुद इस तकनीकी पर काम शुरू किया अंतत: सफलता हासिल की।

राधाकृष्णन ने याद करते हुए कहा, "क्रायोजेकनिक तकनीकी देने से इंकार करने के बाद भारत ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए खुद ही इसे बनाया। इस तकनीकी से अंतरिक्ष के उच्च कक्षाओं में उपग्रह को स्थापित किया जा सकता है।"

भारत ने हालांकि रूस से सात क्रायोजेनिक इंजिन का आयात किया था लेकिन भारी उपग्रह को लांच करने के लिए उनमें से पांच का ही इस्तेमाल किया।

आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा अतंरिक्ष अनुसंधान केंद्र से पहली बार स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक उपग्रह को 'जीयोसाइक्रोनोस सेटेलाइट वेहिकल'(जीएसएलवी-3) से प्रक्षेपित किया जाएगा।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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