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गुजरात दंगे में नहीं चीरा गया था महिला का गर्भ

By Ajay Mohan
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Gujarat Riots
अहमदाबाद। वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों पर विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान अहमदाबाद के एक डॉक्‍टर ने खुलासा किया है कि दंगों के दौरान नरोदा पाटिया इलाके में एक गर्भवती महिला के गर्भ को खुलेआम चीरा नहीं गया था। गर्भ चीरे जाने की बात पूरी तरह गलत है। ये डॉक्‍टर वही है, जिसने उस महिला का पोस्‍टमार्टम किया था।

डॉक्‍टर जेएस कनोरिया ने विशेष अदालत की न्यायाधीश ज्योत्सनाबेन याज्ञिक के समक्ष सवाल-जवाब के दौरान कहा कि उन्‍होंने तीन शवों का पोस्टमार्टम किया था। उसमें एक गर्भवती महिला कौसरबानो शेख का भी शव था। उसके गर्भ में भ्रूण बरकरार पाया गया था।

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कनोरिया ने कहा कि पोस्टमार्टम प्रक्रिया के दौरान भ्रूण बाहर आ गया था। कनोरिया ने इस बात से इंकार किया कि गर्भ को खुलेआम चीर दिया गया था। डा. कनेरिया का यह बयान गुजरात दंगे के मामले में काफी अहम माना जा रहा है। क्‍योंकि खुलेआम गर्भ चीरे जाने के मुद्दे को लेकर कई गैर सरकारी संगठन पिछले 8 साल से विरोध करते आ रहे हैं।

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