ग्रामीण एमबीबीएस पाठ्यक्रम पर आईएमए की आपत्तियों को आजाद ने खारिज किया
प्रशांत के. नंदा
नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। ग्रामीण डाक्टरों की फौज तैयार करने की सरकार की योजना पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से दर्ज की गई आपत्तियों को केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने खारिज कर दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक आईएमए के एक सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आजाद से भेंट कर ग्रामीण एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की सरकार की योजना पर आपत्ति दर्ज कराई है।
अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "आईएमए को इस योजना से जुड़े तीन बिन्दुओं पर आपत्ति है। आईएमए चाहता है कि ग्रामीण डाक्टरों के लिए खोले जाने वाले संस्थानों को कॉलेज की जगह स्कूल कहा जाए। चार वर्षीय पाठ्यक्रम को वह डिग्री का दर्जा दिए जाने के भी पक्ष में नहीं हैं। वह इसे डिप्लोमा का दर्जा चाहते हैं।"
"इसके अलावा आईएमए चाहता है कि इन डाक्टरों के पंजीकरण की अलग से एक व्यवस्था हो।"
अधिकारी के मुताबिक, "आजाद ने आईएमए के प्रतिमंडल की ओर से दर्ज की गई आपत्तियों को गौर से सुना। उन्होंने बताया कि इससे नियमित डाक्टरों के हितों पर कोई आंच नहीं आएगी। आईएमए की ओर से बदलाव की जो मांगें की गई है, उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता।"
उल्लेखनीय है कि डाक्टरों की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में जाने की डाक्टरों की अनिच्छा को देखते हुए सरकार ने बैचेलर ऑफ रूरल हेल्थ केयर (बीआरएचसी) यानी ग्रामीण एमबीबीएस पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के अध्यक्ष केतन देसाई ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "ग्रामीण डाक्टरों की इस समय जरूरत है। वे सर्जरी तो नहीं कर पाएंगे लेकिन तकरीबन रोजमर्रा से जुड़ी 300 विभिन्न समस्याओं का समाधान जरूर कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "मैं ग्रामीण डाक्टरों के पक्ष में हूं। दिल्ली और मुंबई में बैठे लोग ग्रामीणों की समस्या को नहीं समझ सकते।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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