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माया के हार पर चुप क्‍यों है रिजर्व बैंक?

By अजय मोहन
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Mayawati
बेंगलुरू। देश का कोई भी बैंक अगर किसी भी नोट को स्‍टेपल करता या पिन लगाता पाया जाता है, तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उसके खिलाफ सख्‍त कार्रवाई करता है। रिजर्व बैंक के निर्देश हैं कि किसी भी करंसी नोट पर लिखना, उसे स्‍टेपल या पिन करना, बांधना पूरी तरह वर्जित है। बैंक के ये निर्देश तब कहां चले गए जब मायावती की रैली में पांच करोड़ की कीमत वाले एक-एक हजार के नोटों को एक हार में पिरोया गया वो भी सिर्फ वाह वाही लूटने के लिए।

आयकर विभाग ने इस प्रकरण में भले ही मोर्चा खोल दिया हो, लेकिन आखिरकार रिजर्व बैंक क्‍यों चुप बैठा है?

अगर हम रिजर्व बैंक के निर्देशों की बात करें तो बैंकिंग रेग्‍यूलेशन ऐक्‍ट 1949 के तहत किसी भी नोट को पिन करना, स्‍टेपल करना, उसमें किसी प्रकार का छेद करना, आदि पूरी तरह वर्जित है। आरबीआई के इस मुहिम की शुरुआत 1996 की गई। इसके तहत में आरबीआई ने सख्‍त गाईडलाइंस जारी की। हालांकि ये सभी गाइडलाइंस बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थाओं पर लागू होती हैं।

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साफ सुथरे व कोरो नोटों पर आरबीआई की मुहिम तब और कारगर हुई जब जनवरी 1999 में आरबीआई ने 'क्‍लीन नोट पॉलिसी' के तहत जनता से भी अपील की कि वो नोट को साफ सुथरा और कोरा बनाए रखने में मदद करें।

नोट को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचाएं। दो साल पहले नोटों का हार बनाए जाने पर भी आरबीआई ने रोक लगाई थी। अगर बैंक के अधिकारियों की मानें तो नोटों को पिन करने, स्‍टेपल करने और उन पर लिखने के कारण सरकार को प्रति वर्ष करीब 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है।

आरबीआई की इस अपील का असर बसपा कार्यकर्ताओं और उनकी सुप्रीमो मायावती पर कतई नहीं दिखा। यही कारण है कि रैली में उन्‍हें पांच करोड़ की कीमत वाले नोटों की माला बनाकर पहनाई गई। जाहिर है माला बनाने में एक-एक हजार के नोटों के अंदर से धागा पिरोया गया होगा, जो पिनअप या स्‍टेपल करने के समान है। अब यदि नोट चिपकाए भी गए होंगे तो भी यह आरबीआई के निर्देशों के खिलाफ है।

पांच करोड़ रुपए के नोटों के साथ जमकर खिलवाड़ हुआ है यह सारी दुनिया ने देखा है। अब रिजर्व बैंक इस पर क्‍या ऐक्‍शन लेता है यह देखना अभी बाकी है।

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