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मानवाधिकारों पर भारत को अमेरिका की क्लीनचिट

By Jaya Nigam
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वाशिंगटन, 12 मार्च (आईएएनएस)। अमेरिका ने भारत सरकार के मानवाधिकार रिकार्ड की प्रशंसा की है लेकिन साथ पुलिस और सुरक्षा बलों की हिरासत में लोगों की मौतों, गुमशुदगी, प्रताड़ना और बलात्कार की घटनाओं पर चिंता प्रकट की है।

कांग्रेस से मंजूर वर्ष 2009 की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार आमतौर पर नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करती है और सांप्रदायिक हिंसा को कम करने में प्रगति हुई है।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने गुरुवार को 194 देशों की मानवाधिकार स्थिति को पेश करने वाली रिपोर्ट को जारी करते हुए भारत की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा, "मानव तस्करी को रोकने के साथ ही बंधुआ और बाल श्रमिकों का शोषण कम करने के प्रयासों का विस्तार हुआ है लेकिन गंभीर समस्याएं अभी भी कायम हैं।"

उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की हिरासत में लोगों की मौतें, गुमशुदगी, प्रताड़ना और बलात्कार जैसी बड़ी समस्याएं अभी भी कायम हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि कश्मीर और पूर्वोत्तर में अलगावादी आतंकवादी और अपने प्रभाव वाले इलाकों में नक्सलवादी सशस्त्र बलों के जवानों, पुलिसकर्मियों, सरकारी कर्मचारियों और नागरिकों की हत्याएं करते हैं। आतंकवादी व्यापक पैमाने पर प्रताड़ना, बलात्कार, हत्या, अपहरण और जबरन वसूली जैसे कामों में लिप्त हैं। बहरहाल पहले की तुलना में इन घटनाओं में कमी आई है।

रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि व्यक्तिगत दुर्व्यवहारों की जांच होती है और कानूनी दंड दिया जाता है। परंतु जवाबदेही के अभाव ने दंडमुक्ति का माहौल पैदा कर दिया है। जेलों की खराब स्थिति और हिरासत की लंबी अवधि भी महत्वपूर्ण समस्याएं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ अधिकारी अत्यधिक बल प्रयोग को न्यायोचित ठहराने के लिए आतंकवाद विरोधी कानूनों का उपयोग करते हैं। सरकार और पुलिस के हर स्तर पर भ्रष्टाचार है। पिछले वर्ष जहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कोई हिंसा नहीं हुई, वहीं इससे जुड़े पुराने मामलों के कानूनी निवारण में विलंब की रिपोर्टे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ राज्यों ने धर्मातरण पर रोक लगाने वाले बना रखे हैं और जातिभेद से जुड़ी हिंसा की घटनाएं होती हैं। घरेलू हिंसा, बाल विवाह, दहेज से जुड़ी मौतें, सम्मान बचाने के नाम पर किए गए अपराध और कन्या भ्रूण हत्या अभी भी गंभीर समस्याएं बनी हुई हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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