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आम बजट : उच्च विकास के राह पर लौटेगी अर्थव्यवस्था (लीड-2)

By Jaya Nigam
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मुखर्जी ने कहा, "आज जब मैं आपके सामने खड़ा हूं, मैं कुछ यकीन से कह सकता हूं कि हम संकट से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं।"

उन्होंने कहा, "यह नहीं कहा जा रहा है कि आज की चुनौतियां नौ महीने पहले की चुनौतियों से कम बड़ी हैं, जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में दोबारा कार्यभार संभाला था।"

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष सूचीबद्ध की गई तीन चुनौतियां आज भी प्रासंगिक हैं। इनमें जल्द से जल्द नौ फीसदी की उच्च विकास दर पर लौटना और उसे दहाई के आंकड़े तक ले जाना, विकास को ज्यादा समग्र बनाना और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास करना तथा खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाना शामिल है।

उन्होंने कहा, "हमें यकीन है कि 10 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य अब ज्यादा दूर नहीं रहा है।" उन्होंने कहा कि सरकार देश की विकास दर ज्यादा व्यापक आधार वाला बनाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों की भी समीक्षा करेगी।

उन्होंने कहा कि योजना का 46 फीसदी आवंटन ढांचागत विकास के लिए होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता अगले साल अप्रैल से लागू होगी। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को सरल बनाया जाएगा और सार्वजनिक ऋण में कमी लाने की योजना तैयार की जाएगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2009 के फरवरी में उन्होंने अंतरिम बजट और जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया था। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था अनिश्चितता व मंदी दौर से गुजर रही थी और व्यापार जगत में उत्साह कम था।

लेकिन इस साल का बजट वर्ष 2009-10 के आर्थिक समीक्षा की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो अगले वर्षो में 10 फीसदी की विकास दर के आंकड़े को छू सकती है।

जिस समय मुखर्जी सदन में बजट पेश कर रहे थे उस समय वहां लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार के अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज मौजूद थीं।

मुखर्जी का यह चौथा तथा लगातार दूसरी बार सत्ता में आई संप्रग सरकार का दूसरा बजट है।

बजट को सदन में पेश करने से पहले प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उसे मंजूरी दिलाई गई।

आम बजट 2010-11 के मुख्य बिंदु निम्न हैं-

-खाद्यान्न सुरक्षा विधेयक तैयार हो चुका है और उसे सार्वजनिक किया जाएगा।

-प्राथमिक शिक्षा के लिए आवंटन 26,800 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 31,300 करोड़ रुपये।

-2,000 और इससे अधिक जनसंख्या वाले सभी इलाकों में बैंकिंग सुविधा।

-वर्ष 2010-11 में ग्रामीण विकास के लिए 66,100 करोड़ रुपये का आवंटन, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के लिए 40,100 करोड़ रुपये, भारत निर्माण के लिए 48,000 करोड़ रुपये।

-झुग्गी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए तैयार राजीव आवास योजना के लिए 1,270 करोड़ रुपये का आवंटन, इसमें 700 फीसदी की वृद्धि की गई है।

-सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।

-कृषि क्षेत्र के विकास के लिए चार आयामी रणनीति।

- वर्ष 2010-11 में मौसम के अनुकूल कृषि के लिए 200 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

-अनाज के भंडारण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी अगले दो वर्ष तक जारी रहेगी।

-सूखा और बाढ़ को देखते हुए ऋण चुकाने की अवधि जून 2010 तक बढ़ाई जाएगी।

- पांच बड़े खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं की स्थापना होगी।

- अप्रैल-दिसंबर 2009 के बीच विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 20.9 अरब डॉलर रहा।

- एफडीआई नीति को और आसान बनाने का प्रस्ताव।

- बैंकिंग क्षेत्र के लिए उच्चतम स्तरीय वित्तीय स्थिरता परिषद का गठन

- भरतीय बैंक संगठन निजी क्षेत्र को अतिरिक्त लाइसेंस देंगे।

- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए अग्रणी पूंजी का प्रावधान।

- अगले छह माह में सार्वजनिक कर्ज कम करने का रोडमैप तैयार।

- अप्रैल 2011 से प्रत्यक्ष कर कोड लागू होगा।

- सरकार बिक्री कर का नया ढांचा तैयार करने में जुटी है, और इसके अप्रैल 2011 में लागू किए जाने की आशा।

- वर्ष 2009-10 में विनिवेश से 35 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा हुए जो वर्ष 2010-11 में इससे ज्यादा होगा।

- अप्रैल 2010 से नई उर्वरक नीति, इससे उत्पादकता बढ़ेगा और किसानों की आय बढ़ेगी।

- वर्ष 2009-2010 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई, दूसरी तिमाही में इसने मजबूत वापसी की, तीसरी और चौथी तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद विकास की दर 7.2 फीसदी या उससे ऊपर रहेगी।

-जनवरी में निर्यात के आंकड़ें उत्साहजनक थे।

- 10 फीसदी की विकास दर हासिल करना बहुत दूर की चीज नहीं है।

- खाद्यान्न महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने त्वरित कदम उठाए हैं।

- प्रोत्साहन पैकेजों की समीक्षा की जरूरत, विकास को ज्यादा विस्तृत बनाने की जरूरत।

-भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट से बेहतर तरीके से निपटा, देश की अर्थव्यवस्था एक वर्ष पूर्व की तुलना में काफी बेहतर।

- वर्ष 2009 में देश की अर्थव्यवस्था ने अनिश्चितता का सामना किया, दक्षिणी पश्चिमी मानसून में देरी के कारण कृषि उत्पादन पर असर पड़ा।

-अब पहली चुनौती नौ फीसदी की विकास दर को हासिल करना है। इसके बाद विकास दर दहाई अंकों में पहुंचाना है।

-दूसरी चुनौती विकास को समग्र बनाना है, खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाना होगा।

- तीसरी चुनौती सरकारी जन वितरण प्रणाली की कमजोरियों से निपटना है, इस दिशा में लंबी दूरी तय किया जाना है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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