सैन्य शक्ति बनने की होड़ में भारत का चरित्र बदला : संदीप पांडे
भोपाल प्रवास पर आए पांडे ने खास चर्चा के दौरान आईएएनएस से कहा कि हमारे देश में आतंकवाद कृत्रिम मुद्दा है, इसे थोपा गया है। बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाए जाने के बाद से परमाणु परीक्षण तक तो सब ठीक ठाक चला, मगर वर्ष 2001 में अमेरिका द्वारा आतंकवाद के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम का हिस्सा बनने के बाद भारत का चरित्र ही बदल गया।
पांडे बताते हैं कि वर्ष 1994 तक भारत की पहचान दुनिया में शांतिप्रिय देश के रूप में हुआ करती थी। यही वजह है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व भारत के हाथ में था। अमेरिका के साथ परमाणु समझौता करके भारत ने अपनी पहचान को ही दांव पर लगा दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता पांडे सवाल करते हैं कि अमेरिका, इंग्लैंड, भारत, पाकिस्तान में ही क्यों आतंकवादी घटनाएं घट रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर 114 देश ऐसे हैं जिन्होंने एक समझौता किया है, जिसमें परमाणु हथियार बनाने पर असहमति जताई गई है। जिन देशों की परमाणु ताकत बनने में रूचि नहीं है वे आर्थिक तौर पर मजबूत हुए हैं। वहीं भारत सुपर पावर बनने की होड़ में लगा है। वे कहते हैं कि भारत सुपर पावर बन भी जाएगा तो क्या भूख से मौतें कम हो जाएंगी और गरीबी खत्म हो जाएगी।
पांडे कहते हैं कि हमारे देश में हर चीज राजनीति से तय होती है और आतंकवाद पर राजनीति होना सबसे खतरनाक है। हकीकत में राजनेता ही आतंकवाद को खत्म नहीं करना चाहते। वे अगर निष्पक्ष, निष्ठावान और प्रबल इच्छा शक्ति से काम करें तो आतंकवाद का खात्मा आसान है। साथ ही उनका मानना है कि भारत को पाकिस्तान के प्रति अपना नजरिया बदलते हुए वर्तमान लोकतांत्रिक सरकार को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए न कि उसे कमजोर करने की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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