'सीईसी ने एक साल पहले ही चावला से हटने को कहा था'
नई दिल्ली, 1 फरवरी (आईएएनएस)। चुनाव आयोग में जारी ताजा विवाद की नींव एक साल पहले उस वक्त पड़ गई थी जब मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एन. गोपालस्वामी ने अपने सहयोगी नवीन चावला को भेदभावपूर्ण व्यवहार के कारण पद से हट जाने की सलाह देते हुए एक पत्र थमाया था।
यद्यपि, चुनाव आयुक्त चावला ने कुछ खोजबीन के बाद गोपालस्वामी को भेजे जवाबी पत्र में कहा था कि तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में उनके पास समान अधिकार है और सीईसी के पास उन्हें हटाने की सिफारिश करने का कोई अधिकार नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक पिछले साल जनवरी में गोपालस्वामी से पत्र प्राप्त करने के बाद चावला ने राष्ट्रपति कार्यालय और सरकार दोनों जगहों पर खोजबीन की थी।
चावला के करीबी सूत्रों ने आईएएनएस से कहा, "खोजबीन में जब यह पता चला कि न तो राष्ट्रपति और न ही केंद्र सरकार को उनको हटाए जाने संबंधी कोई पत्र प्राप्त हुआ है तब चावला ने गोपालस्वामी को जवाबी पत्र भेजा जिसमें कहा गया कि उन्हें (गोपालस्वामी) उनको (चावला) हटाने से संबंधित सुझाव देने का कोई अधिकार नहीं है।"
पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर सूत्र ने बताया, "चावला भी एक संवैधानिक चेहरा हैं और तीन सदस्यीय चुनाव आयोग में सभी के अधिकार बराबर हैं। सीईसी इन तीनों में पहले हैं और उन्हें कुछ नेतृत्व संबंधी व प्रशासनिक अधिकार मिले हुए हैं।"
चावला ने सीईसी को जुलाई में जवाबी पत्र भेजा था।
यद्यपि, गोपालस्वामी इससे आगे बढ़ गए और उन्होंने चावला को हटाए जाने की सिफारिश करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पिछले माह एक पत्र भेज दिया। वैसे चावला ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है।
गोपालस्वामी द्वारा राष्ट्रपति को सौंपे गए 90 पृष्ठों वाले दस्तावेज में मई 2005 में चुनाव आयोग में आने के बाद से चावला के कथित भेदभावपूर्ण रवैये का जिक्र किया गया है।
सन 1969 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी चावला दो चुनाव आयुक्तों में वरिष्ठ हैं और संभावना है कि 20 अप्रैल को गोपालस्वामी के अवकाश ग्रहण करने के बाद वे सीईसी की कुर्सी संभालें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।