6 वर्षो से एक पैर पर खड़ा होकर तपस्या में लीन है एक शिव भक्त
जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर इस गांव में 32 वर्षीय देवेन्द्र भुइयां वर्ष 2002 से अब तक एक ही स्थान पर अपने एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की आराधना में लीन हैं। खुले आसमान के नीचे एक डंडे के सहारे खड़े होकर वह तेज धूप भी सहते हैं और ओलावृष्टि की मार भी।
भगवान के प्रति अटूट श्रद्घा ही उसकी शक्ति है। देवेन्द्र ने आईएएनएस को बताया कि भोले बाबा के दर्शन उसे अवश्य होंगे। देवेन्द्र के अनुसार किशोरावस्था में दो बार उसकी आंख खराब हो गई थी। हालांकि इलाज के बाद बीमारी दूर भी हो गई। बीमारी दूर होने पर वर्ष 2002 में अचानक उसके मन में शिव भक्ति का ख्याल आया। इसके बाद उसने अपने पैतृक घर के बगल में ही एक कुएं के समीप शीशम के एक पेड़ के नीचे अपनी तपस्या शुरू कर दी।
देवेन्द्र भोजन की मांग कभी नहीं करता, पत्नी जो भी दे देती उसे वह भगवान का प्रसाद मान ग्रहण कर लेता है। अपनी तपस्थली से वह मात्र शौच आदि के लिए ही कुछ समय के लिए हटता है। देवेन्द्र का विवाह वर्ष 1993 में ललिता के साथ हुआ और आज वह दो पुत्र और एक पुत्री का पिता भी है।
ललिता बताती है कि घर में खाने की कमी के कारण उसके दोनों पुत्र अपने मामा के घर रहते हैं जबकि वह खुद मजदूरी कर किसी तरह घर चलाती है। देवेन्द्र के मुताबिक कर्म से बड़ा धर्म होता है तो ललिता के लिए धर्म से बड़ा कर्म है।
गांव के ही करीमन का मानना है कि देवेन्द्र में भगवान के प्रति अटूट श्रद्घा है जो उसकी शक्ति भी है, तभी तो अभी तक अपनी तपस्या से वह विचलित नहीं हुआ है।
कह जाता है कि घट-घट और कण-कण में बसते हैं राम, लेकिन देवेन्द्र को अपनी तपस्या से अब तक माया मिले न राम। अब इसे क्या कहा जाए कि घर में पत्नी दाने-दाने को मोहताज है लेकिन देवेन्द्र को अपनी तपस्या के माध्यम से ही सभी संकटों का समाधान नजर आता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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