विधानसभा में पहुंचने के लिए कठिन चुनौती का सामना कर रहे हैं सोरेन
रांची, 30 दिसम्बर (आईएएनएस)। किसी मुख्यमंत्री के लिए उपचुनाव लड़ना व जीतना आम तौर पर बाएं हाथ का खेल होता है, लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के साथ स्थिति ठीक विपरीत है। पांच जनवरी को तामड़ सीट के लिए होने वाले उपचुनाव को जीतने के लिए उन्हें कदम-दर-कदम चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
सोरेन की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार, जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) की बसुंधरा मुंडा कहती हैं कि सोरेन एक बाहरी व्यक्ति हैं।
बसुंधरा के पति व इस क्षेत्र के पूर्व विधायक रमेश सिंह मुंडा की नक्सलवादियों ने इसी वर्ष जुलाई महीने में हत्या कर दी थी।
बसुंधरा मतदाताओं से कह रही हैं, "शिबू सोरेन चुनाव जीतने के बाद यहां के लोगों को भूल जाएंगे। मैं इस क्षेत्र की बहू हूं और मुझे यहीं पर रहना है। चूंकि मैं यही रहती हूं, इसलिए मैं लोगों की सम्याओं को सुन सकती हूं।"
उन्हें विश्वास है कि सहानुभूति की ताकत पर वह चुनाव जीत जाएंगी। हाल में आयोजित एक चुनावी रैली में उनकी ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिस्सा लिया। वैसे भी तामड़ सीट को जद-यू का गढ़ माना जाता है।
शिबू सोरेन को 27 फरवरी तक विधानसभा की सदस्यता हासिल कर लेनी है। वह मतदाताओं से कह रहे हैं, "मुख्यमंत्री के रूप में मैं एक साल के भीतर इस क्षेत्र का कायापलट कर दूंगा।"
इसके बावजूद उन्हें इस बात का एहसास है कि इस सीट से जीत हासिल करना इतना आसान नहीं है। परिणामस्वरूप वह हर रोज क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सोरेन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार हैं। लेकिन संप्रग की मुख्य साझेदार, कांग्रेस पार्टी खुद स्वीकारती है कि सोरेन मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं।
कांग्रेस के प्रदेश इकाई के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बालमुचू कहते हैं, "यह क्षेत्र झामुमो का गढ़ नहीं है। इस क्षेत्र में झामुमो कार्याकर्ताओं का भी अभाव है।"
दूसरी ओर राजग ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि सोरेन मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और नक्सलवादियों की मदद ले रहे हैं। ऐसा करके वह चुनावी आचारसंहिता का उल्लंघन कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।