मप्र चुनाव : बाहुबलियों का इतिहास खंगालने के लिए विशेष अभियान
भोपाल, 4 नवंबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की अनुचित दखलंदाजी को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने कमर कस ली है। आयोग ने धन और बाहुबल से मतदाताओं को प्रभावित करने वाले लोगों का इतिहास खंगालने के लिए 'वल्नरेबिलिटी मैपिंग' कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए आठ नवंबर को जिले स्तर पर एक दिवसीय अभियान चलाकर समाज विरोधियों का इतिहास खंगाला जाएगा।
'वल्नरेबिलिटी मैपिंग' एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धन और बाहुबल द्वारा लोगों को प्रभावित करने वालों की पहचान की जाती है।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ज़े एस़ माथुर ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को साफ तौर पर निर्देश जारी किया है कि वे इस काम में चुस्ती और मुस्तैदी लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर दलों का गठन कर उन्हें प्रशिक्षण भी दें।
वल्नरेबिलिटी मैपिंग के लिए जो दल बनाए गए है उनमें तहसीलदार अथवा नायब तहसीलदार के साथ थाना प्रभारी को शामिल किया गया है। दल के सदस्य संबंधित मतदान केन्द्रों के तहत काम करने वाले पटवारी, कोटवार, पुलिसकर्मी, ग्राम सेवक, सरकारी कर्मचारी आदि से उस क्षेत्र से संबंधित सारी जानकारी सात नवंबर तक हासिल कर लेंगे। उसके बाद दल के सदस्य आठ नवंबर को स्वयं संबंधित क्षेत्रों का दौरा कर वल्नरेबिलिटी की संभावना की पड़ताल करेंगे।
यह अभियान इसलिए चलाया जा रहा है ताकि संवेदनशील मतदान केन्द्रों की पहचान की जा सके और वहां पुलिस व सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ माइक्रो पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जा सके। चुनाव आयोग इन रिपोटरें के आधार पर धन और बाहुबलियों पर लगाम कसना चाहता है जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी किए गए निर्देशों के मुताबिक नियुक्त दल 10 नवंबर तक तयशुदा प्रारूप में वल्नरेबिलिटी मैपिंग के काम को पूरा करेंगे। 12 नवंबर को रिपोर्ट रिटर्निंग आफिसर के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारी को पहुंचेगी। यह रिपोर्ट मतदान केन्द्र वार होगी जिसमें वल्नरेबल क्षेत्र, इसके कारण और इन्हें बनाने वालों के नामों का ब्यौरा शामिल रहेगा।
इस अभियान के जरिए जातिगत, सांप्रदायिक, आपराधिक प्रवृति के बलशाली लोगों के अस्तित्व, वर्चस्व, आपसी वैमनस्यता की स्थिति का पता लगाना चुनाव आयोग का मकसद है। जिला निर्वाचन अधिकारियों के जरिए वल्नरेबिलिटी मैपिंग की रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट में रिटर्निंग आफिसर को अपना अभिमत भी देना होगा।
इंडो -एशियन न्यूज सर्विस