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मनोविज्ञान के क्षेत्र में तलाशें रोजगार

By Staff
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नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। हमारे जीवन में दिन-प्रतिदिन बढ़ते तनाव के कारण आजकल मनोवैज्ञानिकों की मांग काफी बढ़ रही है। अब मनोवैज्ञानिकों के पास जाना वर्जित नहीं माना जाता है, जबकि विगत कुछ वर्षो तक लोग मनोवैज्ञानिक के पास जाना पसंद नहीं करते थे। आजकल कुछ विद्यालयों और महाविद्यालयों में मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता की नियमित व्यवस्था की जाती है। यह व्यवस्था विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है।

मनोविज्ञान अपनी पूर्णता में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां करियर से जुड़े अनेक विकल्प हैं। अधिकांश लोग मानसिक रोग का उपचार करने वाले कुछ चिकित्सकों से परिचित हैं। अन्य ऐसे विशेषज्ञों की व्यापक स्तर पर जानकारी नहीं है, जो समुन्नत कंप्यूटर प्रणाली का डिजाइन तैयार करने में सहायता देते हैं या यह अध्ययन करते हैं कि स्मरण-शक्ति कैसे बढ़ाई जाए। अधिकतर लोकप्रिय शाखाओं के अलावा औद्योगिक तथा खेल मनोविज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी नौकरी के अवसर बढ़े हैं। ये दोनों शाखाएं अभी भी भारत में प्रारंभिक या मूल अवस्था में है, लेकिन इनके विकास की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

वस्तुत: अन्य व्यवसायों की औसतन दर के समान ही तीव्र गति से मनोवैज्ञानिकों की भी मांग बढ़ रही है। स्वास्थ्य देखभाल संबंधी रोजगार के अवसर बढ़ते जा रहे हैं। इसी प्रकार मनोविकार तथा आचरण संबंधी दुर्व्यवहार के उपचार के क्लीनिक भी खुलते जा रहे हैं। स्कूलों, सामाजिक सेवा की सरकारी एजेंसियों तथा प्रबंधन परामर्श सेवाओं में भी रोजगार के अनगिनत द्वारा खुल गए हैं।

सर्वेक्षण, डिजाइन, विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में कंपनियां मनोवैज्ञानिकों की विशेषज्ञता का लाभ उठा रही हैं, ताकि बाजार मूल्यांकन एवं साख्यिकीय विश्लेषण किया जा सके। इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन भारत में अभी तक उनका उपयोग नहीं किया गया है।

मनोविज्ञान की मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त - दोनों प्रकार की शाखाएं हैं। इसकी महत्वपूर्ण शाखाएं सामाजिक एवं पर्यावरण मनोविज्ञान, संगठनात्मक व्यवहार/मनोविज्ञान, क्लीनिकल (निदानात्मक) मनोविज्ञान, मार्गदर्शन एवं परामर्श, औद्योगिक मनोविज्ञान, विकासात्मक, आपराधिक, प्रायोगिक परामर्श, पशु मनोविज्ञान आदि है। अलग-अलग होने के बावजूद ये शाखाएं परस्पर संबद्ध हैं।

बारहवीं तथा अधिकांश विश्वविद्यालयों में बीए स्तर पर मनोविज्ञान विषय पढ़ाया जाता है। स्नातक के बाद विद्यार्थी मनोविज्ञान में स्नाकोत्तर डिग्री की पढ़ाई कर सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर इस विषय में विशेष पाठ्यक्रम चलाया जाता है। इसके अलावा दो वर्ष का एम फिल पाठ्यक्रम चलाया जाता है। देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में मनोविज्ञान विषय में विशेष में पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। अनेक संस्थानों में बाल मार्गदर्शन और परामर्श सेवा में एक वर्ष का डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाया जाता है।

अल्पकालीन पत्राचार पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय(इग्नू) भी ऐसी ही एक संस्था है। विशेष शिक्षा या मानसिक दुर्बलता के क्षेत्र में एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं। एनसीईआरटी में एक वर्ष तथा डेढ़ वर्ष की अवधि के विशेष पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।

क्लीनिकल मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम में कम से कम तीन माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें प्रशिक्षु को विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े किसी केंद्र में नियुक्त किया जा सकता है। इसके पश्चात् अस्पताल के मनश्ििचकित्सा विभाग में भी कार्य किया जा सकता है। निमहंस, बंगलौर क्लीनिकल मनोविज्ञान का सर्वोत्तम संस्थान माना जाता है। केंद्रीय मनोविज्ञान संस्थान, रांची, जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में क्लीनिकल मनोविज्ञान के पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।

न्यूरोटिसिज्म, साइकोन्यूरोसिस, साइकोसिस जैसी क्लीनिकल समस्याओं एवं शिजोफ्रेनिया, हिस्टीरिया, ऑब्सेसिव-कंपलसिव विकार जैसी समस्याओं के कारण क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। ऐसे मनोवज्ञानिक का प्रमुख कार्य रोगों का पता लगाना और निदानात्मक तथा विभिन्न उपचारात्मक तकनीकों का इस्तेमाल करना है।

महानगरीय जीवन पर दिनोंदिन अधिकाधिक पड़ रहे दबाव एवं बढ़ते तनाव के कारण क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक की मांग कई गुना बढ़ गई है। एक अरब से अधिक आबादी वाले इस देश में इस करियर की संभावनाओं में निश्चित रूप से पर्याप्त वृद्धि हुई है, जबकि इस देश में क्लीनिकल मनोवैज्ञानिकों की संख्या मात्र कुछ सौ है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के अलावा सामान्य अस्पताल, मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राइवेट क्लीनिक जैसे अन्य संगठनों में क्लीनिकल मनोवैज्ञानिकों की बड़ी संख्या पाई जाती है। इस करियर में अत्यधिक पारिश्रमिक मिलता है।

मनोवैज्ञानिक सत्रों या बैठकों के आधार पर शुल्क लिया जाता है। यह सत्र एक घंटे का होता है। प्रति एक घंटा दो सौ रुपये या पांच सौ रुपये तक फीस ली जाती है। यह फीस मनोवैज्ञानिक की ख्याति पर निर्भर करती है।

विकास-मनोविज्ञान में जीवन भर घटित होनेवाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम शामिल हैं। इसमें शैशवावस्था, बाल्यावस्था तथा किशोरावस्था के दौरान व्यवहार या वयस्क से वृद्धावस्था तक होने वाले परिवर्तन का अध्ययन होता है। बीए, एमए तथा पी एच डी स्तरों पर नौकरी के अवसर विद्यमान है। बीए स्तर पर व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य-समाज/सेवा क्षेत्र में नौकरियां मिलती है। छात्र बाल संरक्षण कामगार, आवासीय युवा परामर्शदाता या मानसिक स्वास्थ्य प्रदाता के रूप में कार्य करते हैं। संगठन के अनुसार पारिश्रमिक मिलता है।

किसी भी सरकारी संगठन में व्यक्ति कम से कम दस हजार रुपये प्रतिमाह कमा सकता है। इस राशि में अन्य मिलनेवाली सुविधाएं शामिल नहीं हैं। समय के साथ-साथ विस्तार क्षेत्र तथा पारिश्रमिक भी निश्चित रूप में बढ़ता है।

आपराधिक मनोविज्ञान चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है, जहां अपराधियों के व्यवहार विशेष के संबंध में कार्य किया जाता है। अपराध शास्त्र मनोविज्ञान आपराधिक विज्ञान की शाखा है, जो अपराध तथा संबंधित तथ्यों की तहकीकात से जुड़ी है। इस क्षेत्र का विशेषज्ञ सुरक्षा सेवाओं जैसे क्षेत्रों में रोजगार पा सकता है। निश्चित रूप में यहां आकर्षक वेतन मिलता है। सरकारी सेवा में पंद्रह हजार से बीच हजार रुपये तक कमाया जा सकता है तथा अन्य सुविधाएं और भत्ते भी प्राप्त किए जा सकते हैं।

पशु मनोविज्ञान एक अद्भुत शाखा है। पशु मनोवैज्ञानिक 'पशु सहायता प्राप्त चिकित्सा पद्धति' तथा 'पशु सहायता प्राप्त कार्य-कलाप' जैसे क्षेत्रों में मनुष्य के कल्याण के लिए पशुओं के व्यवहार संबंधी ज्ञान का इस्तेमाल करता है। करियर की संभावनाएं पर्याप्त हैं। पशु मनोवैज्ञानिक को मनोविज्ञान, जीव विज्ञान तथा प्राणि विज्ञान विभाग में अध्यापन पदों पर रखा जा सकता है।

नृविज्ञान, समाजशास्त्र, कीट विज्ञान, पशु तथा मुर्गीपालन विज्ञान, वन्यजीवन विषयक जीव विज्ञान तथा पारितंत्र और चिकित्सा एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालयों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

अनुप्रयुक्त कार्य में रुचि रखनेवाले पशु मनोवैज्ञानिकों के लिए पशु-व्यवहार परामर्श, पशुधन उत्पादन, वन्य जीव प्रबंधन, पालतू पशु या अन्य घरेलू पशुओं की व्यवहार-मूलक समस्याओं के समाधान जैसे विभिन्न करियर इस क्षेत्र में मौजूद हैं।

संगठनों की एवं कार्य की वैज्ञानिक संरचना से औद्योगिक/ संगठनात्मक मनोविज्ञान जुड़ा है, ताकि कार्य कर रहे लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। करियर संबंधी संभावनाएं काफी आकर्षक हैं। किसी भी कॉरपोरेट क्षेत्र तथा विभिन्न सरकारी विभागों में रोजगार मिल सकता है। आकर्षक आय प्राप्त होती है। आज अधिकांश संगठनों में मानव संसाधन विकास विभाग हैं। यह विभाग संगठन में विभिन्न मानव संबंधों से जुड़ा है।

किसी भी संगठन में कार्मिक प्रबंधन विभाग में नौकरी मिल सकती है। कारपोरेट क्षेत्र में प्रारंभ में बीस हजार से चालीस हजार रुपये तक वेतन मिलते हैं। कंपनी की हैसियत के अनुसार वेतन दिया जाता है। समाज के मनोविज्ञान भी इसी विषय की शाखा है। यह लोगों की सोच, प्रभाव तथा परस्पर संबंधों के वैज्ञानिक अध्ययन का विषय है।

वस्तुत: हर प्रकार के रोजगार विन्यास में समाज-मनोवैज्ञानिकों की जरूरत पड़ती है। इसमें शैक्षिक संस्थाएं, लाभ न कमाने वाले संगठन, निगम, सरकारी संगठन और अस्पताल शामिल हैं। इस क्षेत्र में कार्य करनेवाले को शांत एवं धर्यवान होना चाहिए। सफल मनोवैज्ञानिक के लिए जरूरी है कि वह दूसरों के प्रति सहृदय हों। उसे निराश व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को समझने के लिए सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपना होगा। इसके अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक के पास विश्लेषणात्मक मनोवृति हो, लेकिन उसे एकदम निर्णय नहीं लेना चाहिए। उसमें व्यक्ति को स्वीकार करने की क्षमता होनी चाहिए। यदि ये गुण विद्यमान हैं, साथ ही आप जिज्ञासु हैं तो निश्चित रूप से यह करियर आपके लिए सर्वोत्तम है।

( करियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित ए. गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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