परमाणु करार : सरकार ने वामदलों से कहा, अभी नहीं तो कभी नहीं (लीड-3)
नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। कांग्रेसनीत केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वामदलों से परोक्ष रूप से कह दिया है कि यदि वह भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को हरी झंडी नहीं देती है तो उसे अपरिहार्य परिणामों के लिए तैयार रहना चाहिए।
एक सरकारी सूत्र ने बताया, "सरकार अब कड़ा रुख अख्तियार करने जा रही है। हमने वामदलों को समझाने का बहुत प्रयास किया कि तय समय से पहले चुनाव दोनों पक्षों के हित में नहीं है।"
इससे पहले वामदलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, "अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ सुरक्षा समझौता करने के मामले में सरकार को किसी भी सूरत में आगे नहीं बढ़ना चाहिए।"
संप्रग सरकार और वामदलों के बीच बुधवार को होने वाली प्रस्तावित बैठक 25 जून तक टल जाने के कुछ ही घंटों बाद वामदलों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक के बाद सभी चारों वामदलों की ओर से उक्त संयुक्त बयान जारी किया गया।
विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी के मंगलवार की शाम आस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद 15 सदस्यीय इस समिति की अगली बैठक 25 या 26 जून को हो सकती है।
इस समिति एक सदस्य और कांग्रेस नेता ने कहा कि हमने 25-26 तारीख तक का समय वामदलों को फिर से इस मुद्दे पर सोचने के लिए दिया है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि करार को लेकर पार्टी नेतृत्व अभी भी भ्रम की स्थिति में है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व से जुड़ा एक वर्ग करार को भूल जाने के पक्ष में है जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत दूसरे वर्ग का मानना है कि करार जरूरी है क्योंकि इससे भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी।
ज्ञात हो कि 15 सदस्यीय संप्रग-वाम समिति के संयोजक प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश करात से भेंट कर करार के फायदों के बारे में फिर से अवगत कराया था। बाद में करात ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इस मुद्दे पर भेंट की थी।
वामदलों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे सरकार को आईएईए के साथ सुरक्षा समझौता नहीं करने देंगे।
नाम न छापने की शर्त पर एक वामपंथी नेता ने आईएएनएस को बताया, "करार पर सरकार के आगे बढ़ने के बारे में हमने यदि इजाजत दे दी तो हम जनता से क्या कहेंगे। यह हमारी बड़ी राजनीतिक भूल होगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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