'उप्र में जमीन फटने की घटनाओं पर नजर रखने की जरूरत'
बंगलौर, 18 जून (आईएएनएस)। उत्तरप्रदेश के कई मैदानी इलाकों में जमीन फटने की घटनाएं धरती के अंदर प्लेट खिसकने का परिणाम हो सकती हैं। अमेरिका में रहने वाले एक भारतीय वैज्ञानिक रमेश सिंह ने कहा कि इन घटनाओं पर बारीक नजर रखने की जरूरत है।
इन इलाकों में भूगर्भीय हलचलों का अध्ययन कर चुके भूगर्भवेत्ता रमेश सिंह ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, "भारत सरकार से मेरी यह अपील है कि वह इस भूगर्भीय हलचलों की अनदेखी न करे। यह इस इलाके में किसी बड़ी आपदा का संकेत हो सकता है।"
उन्होंने कहा कि अगर दरार का रुख पूरब से पश्चिम दिशा की ओर है, तो यह घटना धरती के नीचे किसी विशाल प्लेट के खिसकने के कारण जमीन की सतह पर पैदा हुए तनाव का परिणाम हो सकता है। ऐसी भूगर्भीय हलचल का केंद्र झांसी के पास है।
आईआईटी कानपुर में वरिष्ठ प्रोफेसर रह चुके रमेश सिंह अब वाशिंगटन के जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। साथ ही वे जियोरिस्क कमीशन ऑफ द इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोडेसी एंड जियोफिजिक्स के उप प्रमुख भी हैं।
उन्होंने कहा कि इस इलाके में धरती के अंदर स्थित विशाल प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर खिसक रहा है। यह भूगर्भीय घटना कानपुर के पास 300-500 मीटर नीचे और लखनऊ के पास 1200 मीटर नीचे हो रही है।
रमेश सिंह ने कहा, "मैंने 1990 में आईआईटी के अपने कुछ सहयोगियों की मदद से इस इलाके में धरती फटने की घटना का अध्ययन किया था। चूंकि दरार का रुख कानपुर-लखनऊ की ओर है, इसलिए इसे भीषण भूगर्भीय हलचल का संकेत माना जा सकता है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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