गैर सरकारी संगठनों में समाज सेवा के साथ पाएं रोजगार
नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। गैर सरकारी संगठन उन सभी के लिए पहचान या सूचक शब्द बन गया है जो विकास संबंधी कैरियर में जाना चाहते हैं और सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। एक समय ऐसा भी था जब प्रतिभाशाली युवा छात्रों को सिविल सेवा, चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाने की सलाह दी जाती थी या छात्र इन क्षेत्रों में रुचि रखते थे। आज युवा पीढ़ी शैक्षिक आयाम से परे देखने की कोशिश कर रही है।
वे लोग अधिक पैसा कमाने की ओर ही आकर्षित नहीं होते बल्कि निराश व्यक्तियों की भी मदद करना चाहते हैं और ग्रामीण विकास में रुचि रखते हैं।
एनजीओ ऐसे संगठन हैं जो विशिष्ट प्रयोजन से गठित किए गए हैं अर्थात उन्हें किसी कारण कोई मिशन पूरा करना है। ये संगठन विभिन्न निधि देनेवाली एजेंसियों से अपेक्षित धनराशि प्राप्त करते हैं। जैसे - बड़े कॉरपोरेट हाउस, अंतर्राष्ट्रीय संगठन एवं सरकार। लक्ष्य प्राप्ति में समुचित मार्केटिंग और संसाधन जुटाने संबंधी अभियान दो मूलभूत संगठनात्मक तत्व हैं।
इसीलिए एनजीओ कैरियर का अर्थ अनिवार्यत: सामाजिक कार्यकर्ता होना ही नहीं है। अनेक विभाग मिलकर एनजीओ की रूपरेखा तैयार करते हैं। सामान्यत: एनजीओ में दो प्रमुख यूनिट्स होती हैं - पहला प्रशासनिक और दूसरा परियोजना। परियोजना यूनिट एनजीओ द्वारा ली गई परियोजनाओं से संबंधित कार्य करती है। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरण संबंधी एनजीओ प्रदूषण नियंत्रण अभियान के संबंध में कार्य करता है, जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यशील एनजीओ एड्स नियत्रण अभियान की दिशा में कार्य कर सकता है।
भारत जैसे विकासशील देश में सामाजिक कार्यकर्ता अनेक क्षेत्रों में से कोई क्षेत्र चुन सकते हैं। पिछले कुछ वर्षो से अनेक एनजीओ विकास के क्षेत्र में सामने आए हैं। भारत में विभिन्न प्रकार के एनजीओ हैं। 'चाइल्ड रिलीफ एंड यू' (क्राई-सीआरवाई) एवं 'बटरफ्लाई' बच्चों के लिए कार्य करते हैं। 'संजीवनी' संस्था मानसिक चुनौतियों का सामना करती है। 'वातावरण' एनजीओ सेंटर फॉर साइंस एंड एंवॉयरमेंट तथा संरक्षण पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित है। आदिवासी क्षेत्रों में एनजीओ कार्य कर रहे हैं। 'सहेली', 'साक्षी' और 'राही' खासतौर पर महिलाओं की समस्याएं निपटाती हैं।
संप्रति एनजीओ का कार्य अधिक व्यावसायिक तथा संस्थागत बन चुका है। अब वे दिन लद चुके हैं जब सामाजिक कार्य व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर होता था या समाज के उत्थान एवं कल्याण के प्रति व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य माना जाता था। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में समाज के सामने अनेक समस्याओं पर विचार करते हुए एनजीओ क्षेत्र में आने के लिए इच्छुक व्यक्ति के सामने असंख्य क्षेत्र हैं।
शिक्षण, शोध, परामर्श, मार्केटिंग, प्रबंधन, चिकित्सा आदि एनजीओ के अलग-अलग विभाग हैं। अत: वकील, डाक्टर, शोधकर्ता, मनोचिकित्सक विभिन्न योग्यतानुसार संबंधित एनजीओ में शामिल हो सकते हैं। कुछ संगठन पुनर्वास तथा विकासोन्मुखी कार्य से भी जुड़े हैं। जैसे - सड़कें बनाना, बांध बनाना आदि। इसलिए एनजीओ में तकनीकी दृष्टि से योग्यता प्राप्त कमी को पूरा कराने की आवश्यकता होती है।
एनजीओ में वेतन कार्य के स्तर, प्रकार तथा क्षेत्र पर निर्भर करता है। तथापि अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ में अधिक वेतन देते हैं। ये संगठन विश्व में भ्रमण करने का अवसर देते हैं क्योंकि इनके कार्यकर्ता विश्व के अलग-अलग भागों में जाकर कार्य करते हैं। सामाजिक कार्य दृढ़ इच्छा शक्तिवाले व्यक्ति ही कर सकते हैं जो समाज के सुविधा-वंचित वर्गो के प्रति कल्याण भाव रखते हैं।
अपराध शास्त्र एवं सुधारात्मक प्रशासन (सीसीए), स्कूल कल्याण प्रशासन (एसडब्ल्यूए), चिकित्सा और मनोचिकित्सीय सामाजिक कार्य (एमपीएसडब्ल्यू), परिवार और बाल कल्याण (एफसीडब्ल्यू), शहरी और ग्रामीण सामुदायिक विकास (यूआरसीडी), श्रम कल्याण, औद्योगिक संबंध एवं कार्मिक प्रबंधन इसके विशेष क्षेत्र हैं।
(कैरियर संबंधी और अधिक जानकारी के लिए देखिए ग्रंथ अकादमी नई दिल्ली से प्रकाशित ए गांगुली और एस. भूषण की पुस्तक "अपना कैरियर स्वयं चुनें"।)
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।