थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंदू मंदिर की वजह से टकराव
प्रियाह विहेयार (कंबोडिया), 18 जून (आईएएनएस)। भगवान शिव का एक ऐतिहासिक मंदिर लंबे समय से कंबोडिया और थाईलैंड के बीच टकराव का कारण बना हुआ है। करीब एक सहस्राब्दि पुराने इस मंदिर को जल्द ही यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शमिल किया जा सकता है।
प्रियाह विहेयार (कंबोडिया), 18 जून (आईएएनएस)। भगवान शिव का एक ऐतिहासिक मंदिर लंबे समय से कंबोडिया और थाईलैंड के बीच टकराव का कारण बना हुआ है। करीब एक सहस्राब्दि पुराने इस मंदिर को जल्द ही यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शमिल किया जा सकता है।
इस मंदिर के कारण दोनों मुल्कों के बीच टकराव इस कदर बढ़ा कि वर्ष 1958 में इनके बीच राजनयिक संबंध टूट गए। 1962 में द हेग में इसे लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता हुआ, जिसमें कंबोडिया को कूटनीतिक जीत मिली, पर आज भी इस मसले पर टकराव जारी है। कंबोडिया के दो गृह युद्घों के इतिहास से भी इस मंदिर का खास नाता है। इसकी सामरिक स्थित बेहद महत्वपूर्ण है।
सत्तर के दशक में प्रियाह विहेयार की पहाड़ी अमेरिका समर्थक लोन नोल आर्मी और खमेर रूज के बीच टकाराव का केंद्र बनी और दिसंबर 1998 में इस इलाके का इस्तेमाल बचे-खुचे खमेर रूज सैनिकों के आत्मसमर्पण के लिए किया गया। इस मंदिर में नजर आने वाले छेद गृह युद्घ से इसे हुए नुकसान के सबूत हैं। डंगग्रेक माउंटेन रेंज में 525 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर खमेर रूज शासकों की आस्था का केंद्र रह चुका है।
12 और 13 वीं सदी में खमेर रूज शासकों ने थाईलैंड के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। जाने-माने थाई इतिहासकार सुलक सिवाराकसा कहते हैं, "इस साम्राज्य में थाईलैंड के लोपारी और आधुनिक बैंकाक तक के इलाके को मिला लिया गया था।" 15 वीं सदी में अयुथाया राजवंश के उदय के साथ ही थाईलैंड भी क्षेत्रीय ताकत बन गया। इसके बाद थाईलैंड ने पतनोन्मुख खमेर रूज साम्राज्य पर हमला कर दिया। इसने खमेर रूज की कई परंपराओं को अपना लिया। तब प्रियाह विहेयार समेत खमेर शैली के कई मंदिर थाई साम्राज्य के हिस्सा बना लिए गए।
1904 में थाई-कंबोडिया सीमा का निर्धारण फ्रांस सरकार की पहल पर किया गया। इसमें इस मंदिर के कंबोडिया की भौगोलिक सीमा में होने की पुष्टि की गई। थाईलैंड इसे लेकर नाराज तो हुआ, लेकिन उसने कभी इस पर औपचारिक रूप से नाराजगी नहीं जताई। इसके बावजूद इसे लेकर दोनों के बीच टकराव बरकरार है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।