गोरखालैंड आंदोलन से दार्जिलिंग में पर्यटन उद्योग की सेहत खराब हुई
कोलकाता, 17 जून (आईएएनएस)। अपने दिलकश नजारों से दुनिया भर के सैलानियों को लुभाने वाले दार्जिलिंग में गोरखालैंड आंदोलन से पर्यटन उद्योग की सेहत खराब हो गई है। होटलों में वीरानी छा रही है और पर्यटन कारोबारी घाटे की तगड़ी मार झलने को अभिशप्त हैं।
कोलकाता, 17 जून (आईएएनएस)। अपने दिलकश नजारों से दुनिया भर के सैलानियों को लुभाने वाले दार्जिलिंग में गोरखालैंड आंदोलन से पर्यटन उद्योग की सेहत खराब हो गई है। होटलों में वीरानी छा रही है और पर्यटन कारोबारी घाटे की तगड़ी मार झलने को अभिशप्त हैं।
अलग गोरखालैंड राज्य के गठन की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से दार्जिलिंग में असंतोष की आग सुलग रही है। आंदोलन के हिंसक रुख अख्तियार करने के कारण पर्यटकों में गलत संदेश गया है और वे इन खूाबसूरत पहाड़ियों व घाटियों की ओर रुख करने से परहेज कर रहे हैं। आंदोलन के कारण सौ से अधिक होटल खाली हैं और पहाड़ियों पर भी सैलानियों की भीड़ छंट चुकी हैं। हिमालयन ट्वाय ट्रेन की सेवा भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
पश्चिम बंगाल के पर्यटन मंत्री मानव मुखर्जी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, "इस उथल-पुथल से पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है। इस उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति को नुकसान उठाना पड़ा है। मैं समझता हूं कि इसके कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को नुकसान हो रहा है।"
मंत्री ने कहा कि दार्जिलिंग की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है। ऐसे में इसकी सेहत खराब होना वाकई चिंता की बात है। हड़ताल के कारण हजारों पर्यटकों को घोर असुविधा हुई। दार्जिलिंग का पर्यटन कारोबार पांच अरब रुपये का है। इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन, चाय और लकड़ी के कारोबार पर निर्भर करती है। बेमियादी हड़ताल से इन तीनों कारोबार क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है।
पिछले सप्ताह बेमियादी हड़ताल के कारण करीब 40,000 पर्यटकों का दार्जिलिंग से पलायन शुरू हुआ। ट्रेवल एजेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (पूर्वी भारत) के चेयरमैन अनिल पंजाबी ने कहा, "हालत विस्फोटक हैं। दार्जिलिंग के बुकिंग रद्द कराने का सिलसिला जोर पकड़ चुका है।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।