नेपाल सरकार को महल तो मिला, पर सिंहासन नहीं !
काठामांडू, 16 जून (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र ने शाही महल 'नारायणहिती' छोड़ने से पहले अपना मुकुट और उत्तराधिकार के तौर पर प्राप्त सभी अनमोल वस्तुएं सरकार को सौंप दीं, लेकिन अभी भी राजसिंहासन सरकार के हाथ नहीं लगा है।
नेपाल में राजा को विष्णु का अवतार माना जाता था और जिस तरह भगवान विष्णु सर्पशय्या पर विराजमान होते हैं, उसी के अनुरूप राज सिंहासन के गिर्द सांप की आकृति खूबसूरत नक्काशी से उकेरी हुई है।
नेपाल की सरकारी दैनिक 'गोरखापत्र' के अनुसार, इस सिंहासन के अलावा दो और स्वर्णजड़ित सिंहासन सरकार के हाथ नहीं आए हैं। ये दोनों सिंहासन बसंतपुर महल में हैं। इस महल में 19वीं सदी में शाही परिवार रहता था।
सर्पो की आकृति से घिरे इस अभूतपूर्व सिंहासन पर आसीन होने वाले ज्ञानेन्द्र अंतिम नेपाल नरेश रहे। गौरतलब है कि बसंतपुर महल को पुरातात्विक स्थल बना दिया गया है। यहां एक कमरे में शाही परिवार से संबंधित कई मूल्यवान जेवरात और अन्य सामग्रियां रखी गई हैं।
माना जा रहा है कि बसंतपुर महल में शाही परिवार से जुड़ी कई अनमोल वस्तुएं मौजूद हैं। जिस कमरे में ये वस्तुएं रखी गई हैं, उसकी चाभी शाही परिवार के एक अवकाश प्राप्त अधिकारी के पास है।
समाचार पत्र के अनुसार उसने अभी तक वह चाभी सरकार को नहीं सौंपी है। इस संबंध में कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। काठमांडू स्थित नारायणहिति महल को राष्ट्रीय संग्राहलय में तब्दील किया जा चुका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।