इंदौर की द्रोपदी के हौसले के सामने उम्र बौना
इंदौर, 16 जून (आईएएनएस)। हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुश्किलें भी आसान हो जाती हैं। इंदौर की 75 वर्षीय द्रोपदी चंदनानी के मामले में भी कुछ ऐसा ही है। इनके हौसले के आगे उम्र बौनी हो चली है और वे ऑटो रिक्शा चलाने के मामले में अच्छों-अच्छों को मात दे रही हैं।
विजय नगर में रहने वाली द्रोपदी पेशेवर ऑटों रिक्शा चालक नहीं हैं बल्कि शौक ने उन्हें ऑटो वाली कर्नल बाई साहब बना दिया है। द्रोपदी अपने पति और परिवार को सैर सपाटा कराने के साथ नाती-पोतों को स्कूल लाने ले जाने के अलावा बाजार से खरीददारी के लिए ऑटों रिक्शे का इस्तेमाल करती हैं।
द्रोपदी के पति सेना में रहे हैं और उनका बंगलौर में डिपार्टमेन्टल स्टोर हुआ करता था। वे बताती हैं कि एक विदेशी ऑटो चलाता हुआ उनके डिपार्टमेंटल स्टोर आया। उसे देखकर उनकी ऑटो चलाने की इच्छा जागी। उन्होंने अपनी यह इच्छा पति के सामने रखी तो उन्होंने उसे कुछ समय बाद स्वीकार कर लिया। शुरू में वे पति को बिठाकर पूरे बंगलौर का चक्कर तक लगा लेती थी। ऑटो चलाने में मिली दक्षता का श्रेय वे अपने पति की हौसला अफजाई को देती हैं।
लगभग एक दशक पहले द्रोपदी के पति को कैंसर हो गया और उन्हें बंगलौर छोडकर इंदौर आना पड़ा। इंदौर आने पर पहले उन्होंने ऑटो नहीं चलाया मगर पति की इच्छा के अनुरूप उन्होंने फिर ऑटो चलाना शुरू कर दिया। वे इसी ऑटो से पति को अस्पताल ले जाती हैं, बाजार से सब्जी अथवा सामान खरीदना हो और बच्चों को स्कूल लाने ले जाने की बात हो इसके लिए उनका ऑटो इंदौर की सड़कों पर दौडता नजर आ जाता है। द्रोपदी इंदौर में सभी के आकर्षण का केन्द्र होती हैं क्योंकि उन्होंने किसी महिला को ऑटो चलाते नहीं देखा है। उनकी उम्र भले ही सात दशक पार कर चुकी हो मगर ऑटो चलाने में उनपर उम्र का असर नजर नहीं आता हैं।
द्रोपदी चंदनानी को अगर रास्ते में कोई महिला अथवा बच्चा मिल जाता है तो वे उसे लिफ्ट देने में नहीं हिचकती हैं। खुद ऑटो चलाने वाली द्रोपदी पेशेवर तौर पर महिलाओं के ऑटो चलाने के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना हैं कि ऐसा होने पर महिलाओं के साथ छेड़ छाड़ की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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