गुर्जर-राजस्थान सरकार वार्ता समाधान की ओर बढ़ी
जयपुर, 14 जून (आईएएनएस)। अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गुर्जर समुदाय की राज्य सरकार के साथ आज संपन्न तीसरे दौर की वार्ता में पहली बार समस्या के शांतिपूर्ण हल की उम्मीद जगी है।
गुर्जरों से बातचीत के लिए गठित सरकारी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रामदास अग्रवाल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, "दोनों पक्षों के बीच तीसरे दौर की बातचीत दूसरे दौर की बातचीत की अपेक्षा और भी अच्छे व सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई।"
उन्होंने कहा, "हमने कर्नल के. एस. बैंसला को एक बार फिर वार्ता के लिए निमंत्रण दिया है। हम चाहते हैं कि वे भी इस बातचीत का हिस्सा बनें। मुझे उम्मीद है कि हम इस समस्या का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ लेंगे। हम समाधान की ओर बढ़ रहे हैं।"
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गुर्जर नेता के. एस. बैंसला इस बातचीत के हिस्सा नहीं हैं। गुर्जर संघर्ष आरक्षण समिति के 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नौ सदस्यीय सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ताओं का दौर चल रहा है।
गुर्जर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति मसूद चौधरी ने कहा, "एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बयाना के पास पीलूपुरा गांव जाएगा और कर्नल बैंसला को अब तक हुई बातचीत से अवगत कराएगा।"
उन्होंने कहा, "हम बातचीत के निर्णायक दौर की ओर बढ़ रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के वहां से लौट आने के बाद ही अगले दौर की बातचीत होगी। इस संबंध में कोई भी अंतिम फैसला कर्नल बैंसला ही करेंगे।
हालांकि दोनों पक्षों ने बातचीत से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया लेकिन सरकारी सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने गुर्जरों को चार से छह फीसदी आरक्षण दिए जाने की पेशकश की है।
इस बीच राजस्थान सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री के. एल. मीणा ने गुर्जरों को रियायत दिए जाने की जो पेशकश की जा रही है, उसके विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
जनजाति श्रेणी में शामिल मीणा जाति से संबंध रखने वाले के. एल. मीणा राज्य विधानसभा की अध्यक्ष सुमित्रा सिंह के आवास पर अपने इस्तीफे के साथ पहुंचे। सिंह जयपुर से बाहर थीं इसलिए मीणा ने अपना इस्तीफा उनके आवास पर छोड़ दिया।
ज्ञात हो कि मीणा समुदाय गुर्जरों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहा है। समुदाय ने धमकी दी है कि यदि गुर्जरों को आरक्षण दिया गया या फिर अनुसूचित जनजाति की मौजूदा सूची में कोई फेरबदल किया गया तो वे व्यापक जन आंदोलन छेडेंगे।
इससे पहले गुर्जर आंदोलन के दौरान गिरफ्तार की गई 24 गुर्जर महिलाओं की गुरुवार को हुई रिहाई के साथ ही गुर्जर समुदाय और राज्य सरकार के बीच बातचीत का रास्ता साफ हो पाया था।
इन महिलाओं को छह जून को दौसा जिले के बांदीकुई से गिरफ्तार किया गया था। इन सभी पर रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और हिसा भड़काने का आरोप था।
ज्ञात हो कि दोनों पक्षों में पिछले सोमवार को पहले दौर की बातचीत हुई थी। इस बातचीत में दूसरे दौर की वार्ता के लिए गुर्जर नेताओं ने तीन शर्ते रखी थी। पहली, आंदोलन के दौरान बंद गुर्जरों की रिहाई। दूसरी, गुर्जर बहुल क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बहाल करना और तीसरी, गुर्जर इलाकों में पुलिसिया छापों पर तत्काल रोक लगाना। गुर्जर नेताओं की शर्तो को मान लिए जाने के बाद दूसरे दौर की बातचीत सकारात्मक रही थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*