मध्यप्रदेश में जनजाति समुदाय सुनेगा अपनी भाषा में रेडियो
भोपाल, 13 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश का जनजाति समुदाय अब अपनी ही भाषा में रेडियो सुन सकेगा। यह प्रदेश के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा शुरू किए जा रहे वन्या रेडियो के जरिए संभव होने वाला है। प्रदेश में एफएम रेडियो के दस चैनल शुरू किए जाने की तैयारी है, अब सिर्फ इंतजार सूचना एवं प्रसारण मत्रालय से लाइसेंस का है।
प्रदेश के महाकौशल, चंबल, भिंड और मालवा क्षेत्र में बडी संख्या में जनजातियों का बसेरा है। इन जनजातियों में संचार का माध्यम उनकी अपनी भाषा है। वे किसी अन्य भाषा अथवा बोली को आत्मसात नहीं कर पाए हैं और यही वजह है कि उनकी दुनिया अपनों के बीच तक ही सिमट कर रह गई है।
इन जनजातियां का मनोरंजन हो, ये बाहरी दुनियां से जुडें और सरकार की योजनाएं उन तक पहुंचे इसके लिए आदिम जाति कल्याण विभाग ने एफएम रेडियो शुरू करने की योजना बनाई है। प्रदेश के वन एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह बताते हैं कि प्रदेश के जनजाति बाहुल्य इलाकों में दस एफ एम चैनल शुरू किए जाने वाले हैं जिससे इन जनजातियों का मनोरंजन तो होगा ही साथ में शासन की जन कल्याणकारी योजनाए भी उन तक पहुंचेगी।
जनजातियों पर केंद्रित प्रकाशन वन्या के प्रबंध संचालक श्रीराम तिवारी ने इस भावी योजना के संबंध में बताया कि जनजाति वर्ग के लोग रेडियो सुनते हैं, फिल्में देखते हैं। उनके मनोरंजन का साधन भी यही है। उनके जीवन स्तर को कैसे सुधारा जाए इसी को ध्यान में रखकर वन्या रेडियो की कार्य योजना बनी है। इसमें मानव से जुड़ा हर कार्य जन जाति वर्ग से जुड़े लोगों के हाथ में होगा। रेडियो जॉकी भी जनजाति वर्ग के होंगे। इन केन्द्रों में प्राथमिकता इन्हीं वगरे को दी जाएगी।
वन्या रेडियो नाम दिए जाने के पीछे तिवारी तर्क देते हैं कि इन वनवासियों का संसार ही वन है इसीलिए इस नाम को चुना गया है। वे साथ में जोड़ते हैं कि यह अंतिम नहीं हैं। इस कोशिश का मकसद जनजातियों की इच्छा और कल्पनाशीलता को मौका देना है। रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम पूरी तरह जन जातियों की भाषा में होगे। उनके विभाग की ओर से एफएम रेडियो के लिए आवेदन किया जा चुका हैं परन्तु अभी मंजूरी नहीं मिली है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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