भारतीय चमड़ा उद्योग की नजर अमेरिकी बाजार पर
नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। भारतीय चमड़ा उद्योग की नजर अब अमेरिकी बाजारों पर है। लागत खर्च में बढ़ोतरी व चीनी चमड़ा उद्योग में आए ठहराव के चलते भारतीय चमड़ा उद्योग को अमेरिकी बाजार में पैठ जमाने का यह सुअवसर प्राप्त हुआ है।
इंडियन फुटवियर कंपोनेंट मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन (आईएफसीओएमए) के प्रतिनिधियों ने फुटवियर मशीनरी व टेक्न ोलाजी से संबंधित प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर बताया कि चीनी चमड़ा उद्योग अपने विकास के उच्चतम बिंदु पर आकर ठहर गया है, इसलिए अमेरिकी खरीददार अब भारत की तरफ रुख कर रहे हैं।
उनके मुताबिक आने वाले समय में भारतीय चमड़ा उद्योग खासकर फुटवियर क्षेत्र में निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। फिलहाल भारत विश्व का दूसरा बड़ा फुटवियर निर्माता देश है, लेकिन निर्यात मामले में यह चीन से काफी पीछे है। चीन प्रतिवर्ष जहां अमेरिका को 90 करोड़ जोड़ी फुटवियर निर्यात करता है, वहीं भारत प्रतिवर्ष अमेरिका को सिर्फ 10 करोड़ जोड़ी फुटवियर का निर्यात कर पाता है लेकिन अगले 5 वर्षो में भाारत की निर्यात क्षमता में दोगुना वृद्धि की संभावना है।
आईएफसीओएमए के प्रतिनिधियों ने बताया कि यूरोपीय बाजारों में भारतीय फुटवियर की मौजूदा हिस्सेदारी जहां 70 फीसदी है, वहीं अमेरिकी बाजार में यह सिर्फ 15 फीसदी है।
प्रतिनिधियों के मुताबिक अमेरिका के साथ चमड़ा व चमड़ा निर्मित सामानों का मौजूदा निर्यात मूल्य 298.2 करोड़ डालर है जो वर्ष 1956-57 में सिर्फ 29 करोड़ डालर था।
आईएफसीओएमए एशिया पैसेफिक लेदर फेयर लिमिटेड (एपीएलएफ) के साथ मिलकर मई 2009 में फुटवियर मशीनरी व टेक्न ोलाजी से संबंधित प्रदर्शनी के आयोजन की तैयारी में भी लगा है। इस प्रदर्शनी में विश्व भर के 100 से ज्यादा प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा लेने की संभावना है।
एपीएलएफ के उपाध्यक्ष माइकल डक के अनुसार चमड़ा व चमड़ा निर्मित वस्तुओं के वैश्विक व्यापार में फिलहाल भारत की हिस्सेदारी महज 2.65 फीसदी है लेकिन सरकार ने वर्ष 2010-11 तक इसे बढ़ाकर 7 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इंडियन शू फेडरेशन के अध्यक्ष अकील अहमद के अनुसार उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय फिलहाल चमड़ा उद्योग पर ध्यान दे रहा है और आशा है कि आने वाले दिनों में उद्योग की सहायता के लिए सब्सिडी की घोषणा करे। अहमद ने कहा कि चमड़ा व चमड़ा निर्मित वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी व उद्योग के विकास से देश में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। फिलहाल 25 लाख लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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