अमेरिका में भारतीय ग्रामीणों का स्तर सुधारने के बारे में चर्चा
डेरिएन (इलिनाय), 11 जून (आईएएनएस)। अमेरिका में शिकागो के उपनगर डेरिएन में एकत्र छात्रों, शिक्षाविदों और चिकित्सकों ने भारत के उन करोड़ों लोगों के जीवन स्तर में बेहतरी लाने के तरीकों पर विचार किया, जो आर्थिक सुधारों की दौड़ में पीछे रह गए हैं।
डेरिएन (इलिनाय), 11 जून (आईएएनएस)। अमेरिका में शिकागो के उपनगर डेरिएन में एकत्र छात्रों, शिक्षाविदों और चिकित्सकों ने भारत के उन करोड़ों लोगों के जीवन स्तर में बेहतरी लाने के तरीकों पर विचार किया, जो आर्थिक सुधारों की दौड़ में पीछे रह गए हैं।
इस परिचर्चा में वक्ताओं ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी, प्राथमिक शिक्षा और जनजातीय समुदाय के गरीब बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से निपटने के अपने अनुभव बांटे।
कुछ वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीणों के जीवन स्तर में बेहतरी लाने के लिए काम करने से ग्रामीणों के साथ साथ उन्हें भी फायदा हुआ है। तीन सप्ताह की तमिलनाडु की यात्रा से लौटे यूनिवर्सिटी आफ आयोवा के प्रोफेसर राज राजागोपाल ने कहा कि उनके साथ जो छात्र भारत गए थे, उनका अनुभव बिलकुल अलग है। भारतीय गांवों के प्रति उनका नजरिया बिलकुल अलग है।
राजागोपाल के 23 छात्रों ने आठ ऐसे संगठनों के साथ काम किया, जो बाल श्रम, बेरोजगारी, गरीबी, गरीबों के स्वास्थ्य, अशिक्षा और समुदाय आधारित प्रबंधन पर काम कर रहे थे।
राजागोपाल ने कहा कि उनके छात्र अचंभित थे कि भारतीय गांवों में रहने वाले लोग ज्यादा समृद्ध नहीं हैं, फिर भी इतने उदार कैसे हो सकते हैं। कुछ छात्रों का कहना था कि ग्रामीणों से उन्हें बहुत प्यार मिला।
वहीं गुजरात में जनजातीय समुदाय के बच्चों के लिए काम कर चुकीं अमेरिकी शहर इलिनाय के बाल चिकित्सक रोदा पटेल ने कहा, "उनके पास सुविधाएं बहुत कम हैं, लेकिन वे पिछड़े हुए नहीं हैं।"
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि आर्थिक उदारीकरण के बावजूद भारत के लगभग 70 प्रतिशत लोगों तक समृद्धि नहीं पहुंच पाई है। फिलहाल उन्हीं के लिए काम करने की सबसे अधिक जरूरत है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।