गंगा के लिए पूर्व आईआईटी प्रोफेसर का आमरण अनशन
आगरा, 13 मई (आईएएनएस)। गंगा नदी की दुर्दशा से दुखी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के एक पूर्व प्रोफेसर ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया है।
पूर्व प्रोफेसर और पर्यावरण वैज्ञानिक जी.डी अग्रवाल का कहना है कि हिन्दुओं की पवित्र नदी गंगा को बचाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि वह 13 जून से शुरू हो रहे गंगा दशहरा के दिन से आमरण अनशन पर बैठेंगे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव रहे 76 वर्षीय अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, "पिछले एक साल से सरकार द्वारा गंगा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। टिहरी बांध इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। इस समय तो हरिद्वार में भी स्वच्छ पानी नहीं रह गया है। इससे देश की अधिसंख्य लोगों की आस्था पर चोट लगी है।"
उन्होंने कहा कि गंगा को और अधिक क्षति से बचाने के लिए गोमुख से लेकर उत्तर काशी तक गंगा को बिना मानवीय हस्तक्षेप के प्राकृतिक रूप से छोड़ देना चाहिए।
गौरतलब है कि विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र के संस्थापक स्वर्गीय अनिल अग्रवाल सहित कई प्रमुख पर्यावरणविदों के प्रेरणास्रोत प्रोफेसर अग्रवाल का मानना है कि विकास के मुद्दों पर सभी सरकार और राजनीतिक पार्टियों के एक जैसे ही विचार होते हैं। वे विकास को तो बढ़ावा देते हैं लेकिन अपने पर्यावरण को प्रदूषित करने में भी लगे रहते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।